नेपाल की सियासी चौसर पर मात खाने के बाद अब चीन नेपाल की जमीन हड़पने पर आमादा हो गया है। चीन ने लगभग साल भर पहले जिन गांवों पर कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए थे, अब वहीं से चीन ने पक्के पिलर्स को ही गायब कर दिया। पिछली बार पीएम ओली, चीन की गोदी में बैठे थे, उस वक्त चीन ने विरोध करने के बजाए अपने ही अफसरों और मंत्रालय की रिपोर्ट को झूठा साबित करने की कोशिश की थी, लेकिन अब वक्त बदल चुका है ओली संतुलित हैं, ओली को नेपाल की संप्रभुता का ज्ञान हो चुका है। इसलिए ओली ने चीन की इस हरकत का विरोध चीन के विदेशमंत्रालय के सामने जोरदार तरीके से किया है।
नेपाल के गृहमंत्रालय ने दाउलखा जिले के विगु गांव में हुई घटना की शिकायत विदेश मंत्रालय से की है। चीन और नेपाल के बीच 1960-61में हुए सीमा समझौते के तहत सीमांकन पिलर्स के जरिए किया गया है। 1961के समझौते के बाद दोनों देशों के बीच सीमा रेखा में कई बदलाव भी हुए, मुख्य रूप से 76स्थायी सीमा पिलर्स को हटाया गया। चीन अब यथास्थिति को अपने पक्ष में बदलने की कोशिश कर रहा है।
पिछले साल सितंबर में चीन ने नेपाली जमीन पर घुसपैठ की थी और हुमला जिले में 11इमारतों का निर्माण कर लिया था। हालांकि, चीन ने इससे इनकार किया था। इस घटना के बाद नेपाल में चीनी दूतावास के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। इमरातें उस जगह बनाई गईं थीं, जहां नेपाली पिलर कई साल पहले गायब हो गया था।
एक तरफ दुनिया जहां कोरोना महामारी से जूझ रही है तो चीन पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने के लिए लगातार चालबाजी कर रहा है। पिछले साल उसने बेवजह पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव बढ़ाया तो नेपाल में भी घुसपैठ की कोशिश में जुटा है। दरअसल, सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को घेरने के लिए ही चीन नेपाल को भी हथियाना चाहता है।