चीन अपने छोटे-छोटे पड़ोसी देशों पर अधिकार जमाने के फिराक में रहता है। दरअसल चीन की मनमानी के खिलाफ लिथुआनिया द्वारा देश में ताइवान को उसके नाम से प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की इजाजत देने से भड़के चीन ने मंगलवार को वहां से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। इसके बाद चीन चिढ़ा हुआ है। चीन 1950 से स्वतंत्र द्वीप ताइवान को एक बागी क्षेत्र के तौर पर देखता है जिसे हर हाल में मुख्य भूमि से वापस जुड़ना चाहिए, जरूरत पड़े तो बलपूर्वक भी।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह फैसला (ताइवान को उसके नाम से प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की इजाजत देने का) चीन और लिथुआनिया के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना को लेकर सरकारी परिपत्र की भावना का खुले तौर पर उल्लंघन करता है, व चीन की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से कमजोर करता है। चीन सरकार इस कदम पर अपना स्पष्ट विरोध व्यक्त करती है। चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया है और मांग की है कि लिथुआनिया सरकार भी चीन से अपने राजदूत को वापस बुलाए।