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Afghanistan में अमेरिका-जर्मनी के फंड रोकते ही पाई-पाई के लिए तरसने लगा Taliban, चीन के सामने पसारा हाथ

अफगानिस्तान में अमेरिका-जर्मनी के फंड रोकते ही पाई-पाई के लिए तरसने लगा तालिबान

अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा तो कर लिया है लेकिन अब वो पाई-पाई के लिए तरसने लगा है। दरअसल, अमेरिका और जर्मनी ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि रोक दी है। अमेरिका ने जहां 9.5 अरब डॉलर जब्त किए हैं तो वहीं, जर्मनी ने भी हर महीने दी जाने वाली सहायाता पर रोक लगा दी है। इसके बाद अब सरकार चलाने के लिए तालिबान के सामने मुश्किलें खड़ी होने लगी है। ऐसे में तालिबान चीन की शरण में जा पहुंचा है।

तालिबानी प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों को नौकरी पर वापस आने के लिए कहा है लेकिन इसके पास उन्हें देने के लिए सैलरी तक पैसा नहीं है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि, चीन ने अफगानिस्तान में शांति और सुलह की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई है और देश के पुनर्निर्माण में उसका खुले दिल से स्वागत है। चीन की सरकारी मीडिया से बातचीत में कहा कि, चीन एक बड़ा देश है और उसकी अर्थव्यस्था और क्षमता बहुत विशाल है। मैं समझता हूं कि चीन अफगानिस्ता में पुनर्निर्माण और पुनर्वास प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

वहीं, विश्लेषकों की माने तो रूस और अमेरिका से उलट चीन ने अफगानिस्तान में जंग नहीं लड़ा है। तेजी से सुपर पावर बनने की ओर बढ़ता चीन इसका फायदा उठाकर तालिबान के साथ डील कर सकता है। तालिबान के सामने चीन ने शर्त रखी है कि चीन तभी उसकी मदद करेगा जब वह उइगर विद्रोहियों को अपनी सर जमीं पर शरण नहीं देगा। साथ ही चीन ने कहा है कि तालिबान इस्लाम के उदारवादी रूप का अनुसर करेगा। यह सब पिछले महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी और तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में शर्त रखी गई।

दरअसल, तालिबानियों का मददगार चीन इसलिए बना है क्योंकि उसकी अफगानिस्तान के एक ट्रिल्यन डॉलर के खजाने पर नजर है। दरअसल, 2010 में अमेरिका के सैन्य अधिकारियों और भूगर्भ वेशेषज्ञों ने खुलासा किया था कि देश में करीब 1 लाख करोड़ डॉलर का खनिज भंडार है। इससे देश की इकॉनमी में बड़ा बदलाव आ सकता है। ड्रैगन की भी इसी पर नजर है।

अफगानिस्तान में कई जगहों पर लोहे, तांबे और सोने के भंडार हैं। साथ ही वहां कुछ दुर्लभ खनिज भीं है। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार हो सकता है। इन्हीं सबको देखते हुए चीन वहां पर तालिबानियों की मदद कर रहा है।