China Threat on Taiwan: ताइवान को हथियाने के लिए चीन इस वक्त मानसिक रूप से दबाव बना रहा है। ताइवान को डरा-धमका (China Threat on Taiwan) कर अपने में मिलाने की कोशिश कर रहा है। पिछले एक साल से ही चीन लगातार ताइवान के डिफेंस जोन में अपने फाइटर जेट्स भेज कर उसे धमकाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन, अमेरिकी सदन की स्पीकर और तीसरी सबसे बड़ी नेता नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन बुरी तरह भड़क गया। जिसके बाद वो ताइवान को 6 ओर से ब्लॉक करके युद्ध अभ्यास करना शुरू कर दिया। बदले में ताइवान ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए युद्धभ्यास कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। ताइवान 1949 के गृहयुद्ध के बाद चीन से अलग हो गया था। अब चीन उसे अपने में मिलाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। उसके सामने अमेरिका खड़ा है। अमेरिका का कहना है कि, वो ताइवान की पूरी तरह से रक्षा करेगा। चीन अब ताइवान (China Threat on Taiwan) को लेकर खुली धमकी देने लगा है। चीन का कहना है कि, उसके रास्ते में आने वालों को करारा जवाब मिलेगा।
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जो भी रास्ते में आया भुगतेगा अंजाम
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, जब चीन एकीकृत हो जाएगा तभी ताइवान सागर क्षेत्र में सच्ची शांति हो सकती है। बाहरी हस्तक्षेप पर जवाब देने के लिए सबसे सशक्त कदम उठाएगा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान की हालिया यात्रा से अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ा है। चीन के लिए ताइवान देश की नीति का मुख्य मुद्दा रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री संग चीन की बातचीत
इसके साथ ही चीन ने अमेरिका पर ताइवान के मसले पर बहुत गलत और खतरनाक संकेत भेजने का आरोप लगाया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि, न्ययॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई 90 मिनट की वार्ता में ताइवान पर चर्चा किया गया। उन्होंने कहा कि, हमारे विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि हमारी लंबे समय से चली आ रही चीन नीति में फिर से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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व्हाइट हाउस ने जोर देकर कहा है कि उसकी ताइवान नीति नहीं बदली है लेकिन चीन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की टप्पिणी ने स्वतंत्र ताइवान की मांग करने वालों को गलत संकेत दिया। चीन ने लंबे समय से ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने का दावा किया है और ऐसा करने के लिए बल प्रयोग से इंकार नहीं किया है। ताइवान की सरकार चीन की संप्रभुता के दावों पर कड़ी आपत्ति जताती है और कहती है कि केवल द्वीप के दो करोड़ 30 लाख लोग ही इसका भवष्यि तय कर सकते हैं।