पाकिस्तान और चीन (china) की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है, लेकिन यह भी सबको पता है कि जिस चीन के दम पर पाकिस्तान इतना बड़बोला होते जा रहा है वह चीन सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रहा है। फिलहाल पाकिस्तान चीन के कर्ज के बोझ से पाकिस्तान बुरी तरह दबा हुआ है। चीन अपना कर्ज लेना अच्छे से जानता है, नहीं तो हालात श्रीलंका जैसे बन जाते हैं। अगले कुछ दिनों में चीन एक और बड़ा कर्ज पाकिस्तान को देने जा रहा है। यह कर्ज 700 मिलियन डॉलर का होगा। हाल ही में अमेरिका ने कंगाल पाकिस्तान को कर्ज देने की बात चीन से कही थी। इन सबके बीच विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि पहले ही चीन के कर्ज के बोझ से झुका कंगाल पाकिस्तान चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसने वाला है। चीन का कर्ज वापस न चुका पाने की स्थिति में विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के बीच दोस्ती में दरार पड़ने वाली है। दोस्ती में दरार की वजह पैसा है।
चीन अब तक खर्च कर चुका है 62 अरब डॉलर
पाकिस्तान को दिवालिया हालत से निकालने के लिए चीन फिर मदद देने जा रहा है। चीन पहले ही पाकिस्तान में बन रहे आर्थिक गलियारे यानी सीपीईसी पर अब तक 62 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। यह प्रोजेक्ट 2013 में शुरू हुआ था। हालत यह हो गई है कि कंगाल पाकिस्तान पुराने कर्ज को चुकाने के लिए कटोरा लेकर दुनियाभर में भटक रहा है। उन्होंने कहा, अधिकांश आईपीपी सौदों को एक घोटाला माना जाता है। इसलिए चीनी कंपनियों को कर छूट है। चीन से शुल्क मुक्त आयात ने कई स्थानीय निमार्ताओं को दिवालियापन की ओर धकेला है।
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पाकिस्तान ने लिया तीन गुना चीन का कर्ज
IMF के आंकड़ों के मुताबिक, चीन के पास पाकिस्तान के 126 अरब डॉलर के कुल बाहरी विदेशी कर्ज का करीब 30 अरब डॉलर है। हूडभॉय ने कहा कि यह उसके आईएमएफ कर्ज (7.8 अरब डॉलर) का तीन गुना है, जो विश्व बैंक व एशियाई विकास बैंक के संयुक्त उधार से अधिक है। हुडभाय ने कहा कि कर्ज की यही स्थिति रही तो पाकिस्तान का हाल भी श्रीलंका जैसा हो सकता है। पाकिस्तान का सकल आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार पिछले सप्ताह तक 3.2 बिलियन डॉलर था, जो किसी नए विदेशी ऋण के अभाव में और गिर सकता है।