चीन (China) ने सब देशो का नाक में दम कर रखा है। चीन जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए हमेशा तैयार रहता है। चीन एकलौता ऐसा देश है जिसके दुनिया के ज़्यादातर देशो से सम्न्बंध ख़राब ही है। चीन हर समय दूसरे देशो को बर्बाद करने की किसी ना किसी साज़िश में लगा रहता है। चीन अब तक के सबसे ‘खतरनाक’ युद्ध की तैयारी कर रहा है जिसे ‘Intelligentized War’ कहा जा रहा है। यह जंग सिर्फ हथियारों से नहीं बल्कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की मदद से लड़ी जाएगी। जैसा कि नाम से ही साफ है, इस युद्ध में किसी भी तरह के पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल किए बिना दुश्मन के दिमाग और इच्छाशक्ति को काबू में करके उसे हराने पर जोर होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन युद्ध के इस तरीके का इस्तेमाल ताइवान और अमेरिका के खिलाफ करना चाहता है।
China लंबे और थकाऊ पारंपरिक युद्ध से बचना चाहता है
इस तरह की लड़ाई से चीन (China) लंबे और थकाऊ पारंपरिक युद्ध से बचना चाहता है जिसका बोझ उसकी वर्तमान अर्थव्यस्था नहीं उठा सकती। टेक्सास नेशनल सिक्योरिटी रिव्यू में प्रकाशित एक आर्टिकल में लिखा है, ‘चीनी विचारकों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘इंटेलिजेंटाइज्ड वॉर’ का मुख्य उद्देश्य दुश्मन की इच्छाशक्ति को नियंत्रित करना है। इसके तहत किसी देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों की इच्छाशक्ति को सीधे नियंत्रित करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जाएगा, जैसे राष्ट्रपति, कांग्रेस के सदस्य और कमांडर और नागरिक भी।’
चीन की सेना तेजी से ‘आधुनिकीकरण‘ के पीछे भाग रही है
ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) ने ‘चाइना मिलिट्री वॉच’ में लिखा, ‘क्षेत्रीय विवादों के बावजूद, सैन्य क्षमता में चीन की वृद्धि ने इसके राजनीतिक लाभ को काफी बढ़ा दिया है और क्षेत्रीय सैन्य संतुलन को चीन के पक्ष में झुका दिया है। चीन की सेना तेजी से ‘आधुनिकीकरण’ के पीछे भाग रही है जिसका उदाहरण चीन की ‘इंटेलिजेंटाइज्ड वॉर’ या दुश्मन की इच्छाशक्ति को काबू में करने के लिए एआई का इस्तेमाल है।’
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रिपोर्टों के अनुसार, 1990 के दशक की शुरुआत से ही चीनी सेना ने साइबर युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे सूचना संचालन को आगे बढ़ाने के लिए ‘सूचनात्मक’ युद्ध की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन, अब चीन ‘इंटेलिजेंटाइज्ड वॉर’ की तरफ देख रहा है।