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China की चालबाजी! BRICS के ज़रिए नया वर्ल्ड ऑर्डर बना रहा है Dragon? भारत को होगा फायदा या नुकसान?

क्या ब्रिक्स के बहाने चीन (China) बढ़ाना चाहता है अपना दबदबा? क्या चीन और रूस बनाना चाहते हैं एक नया वर्ल्ड ऑर्डर या फिर पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट होने का मंच बन रहा है ब्रिक्स? भारत को होगा फायदा या नुकसान? क्या है इसके विस्तार के पीछे चीन की नई साज़िश? हाल में ही चीन के इशारे पर इंडोनेशिया, सऊदी अरब और मिस्र ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन किया है। हालांकि, भारत ब्रिक्स के विस्तार की योजना से काफी तरस्क है। भारत को इस बात का संदेह है कि कहीं यह समूह नया वर्ल्ड ऑर्डर न खड़ा कर दे, जिससे मौजूदा क्षेत्रीय गठबंधनों को नुकसान पहुंचे। अगले महीने ब्रिक्स सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की जोहान्सबर्ग में लीडरशिप समिट होनी है। इस दौरान अर्जेंटीना, मिस्र, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, बांग्लादेश और ईरान को ब्रिक्स में शामिल करने पर अंतिम फैसला हो सकता है।

BRICS के ज़रिए नया वर्ल्ड ऑर्डर बना रहा है Dragon?

चीन (China) ने पिछले साल कहा था कि वह चाहता है कि ब्रिक्स में नए सदस्यों को शामिल करने पर काम शुरू किया जाए। लेकिन भारत ने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी थी। भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा था कि यह प्रक्रिया अभी भी बातचीत की स्थिति में है। उन्होंने ब्रिक्स से विस्तार में मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं पर विचार-विमर्श की आवश्यकता का हवाला दिया था। इसे ब्रिक्स के विस्तार में भारत की चिंता के तौर पर देखा गया। एक समय विकासशील देशों के एक ढीले संघ के रूप में देखा जाने वाला ब्रिक्स अब दुनिया की 43 प्रतिशत आबादी, 26 प्रतिशत भूमि क्षेत्र और लगभग 30 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। इसका गठन शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

भारत को होगा फायदा या नुकसान?

साउथ चाइना (China) मॉर्निंग पोस्ट से बात करते हुए ब्राजील के एक विश्वविद्यालय फंडाकाओ गेटुलियो वर्गास में एसोसिएट अंतरराष्ट्रीय-संबंध प्रोफेसर ओलिवर स्टुएनकेल ने कहा कि भारत के भीतर कुछ चिंता थी कि ब्रिक्स का विस्तार किस हद तक उसके हित में है। उन्होंने कहा कि चीन ब्रिक्स के विस्तार के सबसे मजबूत समर्थक है, उसके बार रूस है। ऐसे में मुझे लगता है कि हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या भारत उस दिशा में कोई महत्वपूर्ण कदम उठाता है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील दोनों एक बड़े समूह में प्रभाव खोने से थोड़ा सावधान हैं।

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