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चीन का गुलाम पाकः पुलिस-फौज में चीनी अफसर, जिन्ना छाप नोट गायब युआन छाया

Chinese Police in Pakistan

पाकिस्तान की आम जनता और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन में चीनी दखल को बढ़ाकर शी जिनपिंग भारत को तीन ओर से घेरने की साजिश कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान की लोकल पुलिस-प्रशासन को कम्युनिस्ट ढांचे में ढाल कर भारत के खिलाफ मजबूत दीवार खड़ी करना चाहता है। भारत के लिए यह खतरे की बात है लेकिन पाकिस्तान के लिए उससे भी बड़ा खतरा है। पाकिस्तान की अधिकांश धार्मिक अवाम इसके खिलाफ आवाज भी उठा रही है लेकिन पाकिस्तान सरकार चीन के कर्ज के तले इतना दब चुका है कि वो चीन के किसी भी आदेश या बयान की अनदेखी करने की सोच भी नहीं सकता।

Chinese Police Pakistan

पाकिस्तान की सरकार से लेकर इडस्ट्रीज, बैंक और लोकल ट्रेडर्स में चीन का हस्तक्षेप पाकिस्तान के आजाद मुल्क होने के दावे पर भी सवाल लगाने लगा है। पाकिस्तान के बैंकों में चीनी करंसी युआन में वैसे ही कारोबार होने लगा है जैसे कि पाकिस्तानी करंसी में होता था। मतलब यह कि पाकिस्तान के बैंक युआन में लेन-देन करने लगे हैं। पाकिस्तान के ट्रेडर्स भी पाकिस्तानी करंसी या अमेरिकी डॉलर की बजाए चीनी युआन में व्यापार करने लगे हैं। डॉलर आम पाकिस्तानी की पॉकेट से दूर हो रहा है तो युयान उसकी तिजोरी में आ रहा है। इतना ही नहीं कराची, लाहौर, इस्लामाबाद मुल्तान, फैसलाबाद और रावलपिंडी जैसे शहरों की बाजारों में पाकिस्तानी नोट के बजाए युआन से खरीद फरोख्त करने वाले शख्स को ज्यादा इज्जत दी जाने लगी है। हालांकि, पाकिस्तान में धड़ल्ले से चल रही चीनी करंसी को लेकर कई लोगों ने ऐतराज भी जताया है लेकिन जिन्ना की तस्बीर वाला नोट माओ की फोटो वाले युआन के आगे धूल चाटता ही नजर आता है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि पाकिस्तानी ट्रेड और बिजनेस में युआन की घुसपैठ को पाकिस्तान के नेशनल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने खुशी जाहिर की है।

हालात ये हैं कि अमेरिकी सख्ती के बाद पूरी तरह से चीनी मिलिटरी कमीशन की गोद में जा बैठी है। पाकिस्तानी आर्मी और अब पाकिस्तान की इंडस्ट्रीज-पाकिस्तानी बाजार भी पूरी तरह से चीन के गुलाम बन गए हैं। भारत से व्यापार बंद होने के बाद चीन से आने वाली मंहगी और कम असरकारी दवाओं और अन्य रोजमर्रा की चीजों को खरीदना पाकिस्तान की नियती (डेस्टिनी) बन चुका है। पाकिस्तान की फौज और बाजार पर कब्जे के बाद चीन ने अब पाकिस्तान के सिविल एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस को नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान की पुलिस पर चीनी नियंत्रण कीखबरें अगस्त 2018 में सतह पर आ चुकी थीं। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तानी पुलिस को चीन के सीधे नियंत्रण में देने की कार्रवाही को तेजी से अंजाम दिया जाने लगा। इन कार्रवाहियों को सर अंजाम देने के लिए चीन की आर्म्ड पुलिस फोर्स के कमाण्डर जनरल वांग निंग ने  2018 में पाकिस्तान के जन्मदिन के समारोह की पूर्व संध्या पर पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान के डीजीआईएसपीआर ने एक स्टेटमेंट भी जारी किया था। इस स्टेटमेंट में लिखा था कि जनरल बाजवा और चीन के पीएपी कमांडर के बीच पाकिस्तानी पुलिस को लॉ एन ऑर्डर तथा काउंटर टेररिज्म की ट्रेनिंग, परस्पर सहयोग और अनुभव साझा करने के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई।

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लगभग तीन साल पहले खुले तौर पर पाकिस्तान की पुलिस और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन में दखल के इस ऐलान के बाद जैसे-जैसे चीनियों ने अपना रंग दिखाना शुरू किया वैसे-वैसे आम जनता में विरोध भी शुरू हुआ। चीनी नागरिकों और चीनी कंपनियों के दफ्तरों पर हमले भी शुरू हुए। पाकिस्तान की सरकार ने हमेशा पाकिस्तान के लोगों को ही कसूरवार मानकर कार्रवाई की। पाकिस्तान की पुलिस पर चीन के नियंत्रण का एक और खुला ऐलान कराची में चीनी कांसुलेट जनरल ली बीजियान ने कर दिया। हालांकि, इस बार उन्होंने अपने बयान का दायरा गवादर तक ही सीमित रखा लेकिन जो गवादर, कराची में हो रहा है वही इस्लामाबाद और लाहौर में हो रहा है। स्थानीय पुलिस-प्रशासन को दिए गए चाईनीज कंप्यूटर गूगल के किसी सर्रवर से नहीं बल्कि चीन के अपने इंटरनेट सिस्टम और सर्वर से जोड़े गए हैं। इन कंप्यूटरों पर दर्ज पाकिस्तानियों के ब्योरे का चीन में विश्लेषण किया जा रहा है। उसी विश्लेषण के आधार पर पॉलिसी बन भी बीजिंग में रही हैं और उसको कैसे क्रियान्वित कैसे करना है-ये हुक्म भी बीजिंग से मिल रहे हैं।

पाकिस्तान पर कब्जा दिखाने वाले सारे काम चीन ढोल ढमाके के साथ कर रहा है। कराची में चीनी कांसुलेट जनरल ली बिजियान ने मीट द प्रेस कार्यक्रम में बाकायदा बताया कि किस तरह चीन पाकिस्तान की पुलिस को मॉडर्न और चीनी इक्विपमेंट से लैस कर रहा है। फिलहाल, ग्वादर में पाकिस्तान पुलिस को मॉडर्न इक्विपमेंट से लैस 40 मोटर साइकिल और बड़े पैमाने पर कम्प्यूटर दे रहा है। कम्प्यूटर चलाने और लॉ एंड ऑर्डर और आतंकी गतिविधियों से कैसे निपटा जाएगा- इसकी ट्रेनिंग भी चीनी विशेषज्ञ पाकिस्तानी पुलिस को देंगे। यहां समझने वाली बात यह है कि पाकिस्तान की पुलिस-प्रशासन से लेकर फौज को ट्रेनिंग-हथियार, सरकार और देश चलाने के लिए पैसा, सब कुछ तो चीन दे  रहा है तो पाकिस्तान में इमरान खान की हैसियत ब्रिटिश काल में वाइस राय से ज्यादा हो ही नहीं सकती।