कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए बनाई गई चाईनीज वैक्सीन का सच सामने आने लगा है। इस वैक्सीन की प्रभावशीलता पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे। कई लोगों को चाईनीज वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना हो गया। इतना ही नहीं वो कोरोना के कारण उनकी जान भी गई। चीन इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं था कि सिनोवैक लगाने के बाद किसी की मौत भी हो सकती है। लेकिन अब चीन के झूठ का पर्दाफाश हो चुका है। चीन के वैक्सीन की सच्चाई सबके सामने आ चुकी है।
इंडोनेशियाई मीडिया के मुताबिक चीनी कोरोना वैक्सीन तैयार करने वाले वैज्ञानिक की ही संक्रमण की वजह से मौत हो गई है। इंडोनेशियाई ने कहा हैं कि चीन के सिनोवैक वैक्सीन ट्रायल के दौरान प्रमुख वैज्ञानिक की बुधवार को कोविड -19की वजह से मृत्यु हो गई। वैज्ञानिक की पहचान नोविलिया के रूप में हुई है।
इंडोनेशिया की कुम्पारण न्यूज सर्विस ने कहा कि वैज्ञानिक नोविलिया की मृत्यु कोरोना वायरस से हुई थी। वहीं, सिंदोन्यूज़ ने सरकारी दवा कंपनी बायोफार्मा के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि उन्हें कोविड -19प्रोटोकॉल के अनुसार दफनाया गया।
वहीं, राज्य के उद्यम मंत्री एरिक थोहिर ने इंस्टाग्राम पर एक संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्हें वैज्ञानिक की मौत को बड़ा नुकसान बताया और उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। हालांकि, उन्होंने उनकी मौत का कारण नहीं बताया। उन्होंने कहा कि वह प्रमुख वैज्ञानिक थीं और बायोफार्मा द्वारा किए गए दर्जनों क्लिनिकल ट्रायलों की प्रमुख थीं, जिसमें चीनी सिनोवैक के सहयोग से कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल भी शामिल थे।
इंडोनेशिया में सिनोवैक वैक्सीन लगाने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संक्रमण और मृत्यु ने मौत को रोकने में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वतंत्र डेटा समूह लैपर कोविड-19 अनुसार, 131 हेल्थ केयर वर्कर्स जून से अब तक मर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर ने चीनी वैक्सीन सिनोवैक की खुराक ली थी। इस वैक्सीन को लेने के बाद मरने वालों की संख्या सिर्फ जुलाई में 50 है।