पाकिस्तान में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद इमरान खान सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विपक्षी पार्टियों इस वक्त इमरान खान पर जमकर बरस रही हैं। विपक्षी पार्टियों ने इमरान के प्रदर्शनों से ठीक तरह से नहीं निपटने को लेकर उनकी जमकर आलोचना की है। दरअसल, सोमवार को लाहौर में हुए फ्रांस विरोधी प्रदर्शनों के दौरान प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। वहीं, पुलिसकर्मियों समेत कई लोग इस हिंसक प्रदर्शन में बुरी तरह जख्मी हुए।
पीपीपी के चेयरपर्सन बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसपर कहा कि, "इंसान के खून को बहाना और हिंसा के लिए उकसाना कभी भी किसी भी स्थिति का जवाब नहीं होता है। इतिहास ने हमें सिखाया है कि हिंसा से सिर्फ हिंसा ही होती है। इसके आगे उन्होंने सवाल किया कि देश के प्रमुख मुद्दों पर लड़ना ही वास्तविक लड़ाई है ना कि केवल मुद्दों को समझ लेना। इस सरकार ने हालात के बिगड़ने पर नेशनल एक्शन प्लान क्यों लागू नहीं किया। सरकार ने इस मुद्दे को लेकर संसद में चर्चा क्यों नहीं की?"
शांति से हालात को काबू करने में विफल रही सरकार- बिलावल
हिंसा की निंद करते हुए बिलावल ने मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि, ये हिंसा इसलिए फैली क्योंकि सरकार शांति से स्थिति को संभालने में कामयाब नहीं हुई। मुख्यधारा के राष्ट्रीय दलों पर जातीय, धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत भड़काने के माध्यम से दबाव बनाने की शुरुआत जनरल जियाउल हक के समय से ही हो गई थी। इस तानाशाही उपकरण का उपयोग आज भी मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के धैर्य और आकार को कम करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाता है।
कोई भी मुसलमान इस पर समझौता नहीं कर सकता- शाहिद खकान अब्बासी
बिलावल के अलावा PDM के सेक्रेटरी जनरल और पीएमएल-एन के नेता शाहिद खकान अब्बासी ने भी हिंसा कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पीडीएम का मानना है कि नामो-ए-रिसालत एक मुस्लिम विचारधारा की नींव है। कोई भी मुसलमान इस पर समझौता नहीं कर सकता है। हाल की घटनाएं हर पाकिस्तानी के लिए दुखद रही हैं। सरकार पूरी तरह से देश में शांति स्थापित करने में विफल साबित हुई है। नागरिकों और अधिकारियों के जीवन का नुकसान सरकार की विफलता के कारण हुआ।