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Coronavirus Escape from Wuhan: चीन का पर्दाफाश! Wuhan की लैब से ही निकला है कोरोना वायरस

Wuhan Virus

कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच कर रहे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से ही निकला था। चीनी वैज्ञानिक वैक्सीनेशन के बिना ही इंसानी कोशिकाओं पर कोरोना के संक्रमण का प्रयोग कर रहे थे। मेडिकल औऱ साइंस के जाने-माने लेखकों में शुमार ब्रिटेन के निकोलस वेड ने कहा कि है कि कोरोना वायरस वायरस नैचुरल नहीं है। इसे चीन की लैब में बनाया गया है। वेड ने कहा कि चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के रिसर्चर्सकोरोना वायरस से मानव कोशिकाओं और मानवकृत चूहों को संक्रमित करने के लिए प्रयोग कर रहे थे।

निकोलस ने बताया कि इसी प्रकार के प्रयोग के कारण कोविड-19जैसे वायरस के पैदा होने की आशंका है। वेड ने इस महीने की शुरुआत में प्रतिष्ठित 'बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' में प्रकाशित 'कोविड की उत्पत्ति: वुहान में भानुमती का पिटारा लोगों ने खोला या प्रकृति ने?' शीर्षक वाले लेख में सार्स-सीओवी-2की उत्पत्ति पर कई सवाल उठाए। कोरोना वायरस दिसंबर 2019में वुहान से फैला शुरू हुआ था और यह वैश्विक महामारी बन गया।

वेड ने कहा कि सबूत इस आशंका को पुख्ता करते हैं कि यह वायरस एक प्रयोगशाला में पैदा किया गया, जहां से वह फैल गया लेकिन इसकी पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि कई लोग जानते हैं कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो मुख्य अनुमान जताए जा रहे हैं। एक अनुमान यह है कि यह वन्यजीवों से मनुष्यों में प्राकृतिक रूप से आया और दूसरा अनुमान यह है कि इस वायरस पर किसी प्रयोगशाला में अध्ययन किया जा रहा था, जहां से वह फैल गया।

वेड ने कहा, 'वुहान चीन के मुख्य कोरोना वायरस अनुसंधान केंद्र का घर है, जहां अनुसंधानकर्ता मानव कोशिकाओं पर हमला करने के लिए चमगादड़ संबंधी कोरोना वायरस बना रहे थे।' उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधोां के बीच ऐसा कर रहे थे और यदि सॉर्स-2का संक्रमण वहां से अप्रत्याशित रूप से फैला, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वेड ने कहा कि इस बात के दस्तावेजी सबूत हैं कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के शोधकर्ता मानव कोशिकाओं और मानवीकृत चूहों को कोरोना वायरस से संक्रमित करने के लिए 'गेन ऑफ फंक्शन' प्रयोग कर रहे थे। इसी प्रकार के प्रयोग से सॉर्स-2जैसा वायरस पैदा हुआ होगा।

 

उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं का इन वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण नहीं हुआ था और वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधों के बीच काम कर रहे थे, इसलिए वायरस का वहां से फैलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।