कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ही विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने ये दावा कर दिया था कि कोरोना की तीसरी लहर भी आएगी। यहां तक कि शुरुआत में इस लहर में दावा किया जा रहा था कि इसमें सबसे ज्यादे बच्चे संक्रमित होंगे। हालांकि, इस वैज्ञानिकों ने नकारते हुए कहा कि ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं देखी गई है जिससे बच्चों को अधिक खतरा हो। खबरों की माने तो इंडियोनेशिया में कोरोना की तीसरी लहार आ गई है और इसमें कोविड-19 बच्चों को अधिक निशाना बनाया है।
इंडोनेशिया में बच्चों को निशाना बना रहा कोरोना वायरस
इंडोनेशिया में कोरोना वायरस की डेल्टा वेरिएंट की वजह से पिछले महीने भर में हर हफ्ते 100 से ज्यादा बच्चों की जान गई है। कई बच्चों की उम्र 5 साल से कम है। जो उम्र के साथ कोविड के रिस्क फैक्टर को मापने की कोशिश पर भी सवाल खड़े करता है। इंडोनेशिया में बच्चों के बीच मृत्यु-दर दुनिया के बाकी हिस्सों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इंडोनेशिया का अनुभव उस डर को मजबूत कर रहा है कि कहीं यह तीसरी लहर की आहट तो नहीं।
इंडोनेशिया में कुल कोरोना के पुष्ट मामलों में 12.5 फीसदी बच्चे हैं। वहां अभी कोरोना के 30 लाख मामले सामने आए हैं और 83 हजार लोगों की मौत हुई है। कोरोना महामारी शुरू होने के बाद इंडोनेशिया में अब तक 800 बच्चे मारे गए हैं। इनमें से ज्यादातर की मौत पिछले महीने ही हुई है। शुक्रवार को ही इंडोनेशिया में कोरोना के 50 हजार नए मामले आए और 1566 लोगों की मौत हो गई।
इंडिया में कोरोना महामारी की तीसरी लहर में बच्चों को कितना खतरा है, इसको लेकर देखें तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होगा, इसका कोई सबूत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, कोविड-19 यहां तक कि डेल्टा वेरिएंट से भी बच्चों में संक्रमण का ज्यादा खतरा है, इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत, चाहे वैश्विक हो या राष्ट्रीय, नहीं है। बच्चे अगर संक्रमित होते हैं तो सामान्यत: एसिम्प्टोमेटिक रहते हैं या हल्के लक्षण रहते हैं। वायरस उनमें गंभीर समस्याएं पैदा नहीं करता। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीडियाट्रिक केस मैनेजमेंट के लिए अलग से गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं।