कोरोना वायरस कहां से फैला इस लेकर शोध जारी हैं। कई रिपोर्ट में यह खुलासा हो चुका है कि कोरोना बुहान लैब से ही निकली है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना लैब से ही निकला है। हालांकि चीन इन सारे दावों को खारिज कर रहा है। अब एक और शोध रिपोर्ट ने चीन के उपर उंगली उठाई है। नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि वायरस को इंसानों में तेजी से फैलने के अनुरूप खासतौर पर तैयार किया गया हो सकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 में कई असामान्य गुण हैं। इसमें जेनेटिक सिक्वेंस सिग्नलिंग का एक फीचर है जो इसके मानव निर्मित होने की आशंका पैदा करता है। इसमें कोशिका के भीतर प्रोटीन को निर्देशित किया जा सकता है। जबकि आमतौर पर इस प्रकार के वायरस में पाए जाने वाले प्रोटीन में सिक्वेंस सिग्नल नहीं होते हैं। रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि ऐसा लगता है कि इसे इस प्रकार से तैयार किया गया है कि यह एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैले। सिक्वेंस सिग्नल के अलावा वायरस की फुरिन क्लीविज साइट भी मानव निर्मित प्रतीत होती है। कैलिफोर्निया के वायरोलाजिस्ट क्रिश्चयन एंडरसन के अनुसार फुरिन क्लीविज साइट एक ऐसा गुण है जो वायस को मानव कोशिका में प्रवेश के लिए जिम्मेदार माना गया है। फुरिन साइट कोविड-19 के स्पाईक प्रोटीन में है।
दूसरी तरफ वायरस के प्राकृतिक होने के प्रमाण अभी भी नहीं मिले हैं। वायरस का जीनोम हार्सशू प्रजाति के चमगादड़ से 96 फीसदी मिलता है। लेकिन यदि यह चमगादड़ से इंसान में आया है तो यह ज्यादा मिलना चाहिए। इसलिए जो वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक मानते हैं, उनका दावा है कि यह पहले चमगादड़ से किसी दूसरे जानवर में गया और वहां से इंसान में आया। अब तक 80 हजार संदिग्ध जानवरों के जीनोम की जांच की जा चुकी है लेकिन यह पता नहीं लग पाया है कि वह जानवर कौन है। हालांकि यह पता लगाना काफी समय गंवाने वाला कार्य है। लेकिन जब तक यह पता नहीं चलता है तब तक इसकी प्राकृतिक उत्पत्ति को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।