अमेरिका को पाकिस्तानी फौज के एयरबेस की गुपचुप डील करने से नाराज शी जिनपिंग ने इमरान खान से कर्ज की वसूली का तकाजा तेज कर दिया है। इतना नहीं चीन ने इमरान खान के उस मांग को भी ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने 3 अरब के डालर को रिऑर्गेनाइज करने करने को कहा था। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान चाहते थे चीन सीपीईसी के तहत बने ऊर्जा प्रॉजेक्ट के लिए दिए गए लोन को माफ कर दे, चीन ने साफ कह दिया है माफी का सवाल ही नहीं उठता, पहले दिए गए लोन को ब्याज सहित लौटाएं इसके बाद आगे के प्रोजेक्ट देखे जाएंगे। ध्यान रहे, पाकिस्तान इस समय 300 अरब डॉलर से ज्यादा के कर्जे के बोझ के तले दबा हुआ है।
हाल ही में पेरिस क्लब से 11 बिलियन डॉलर के कर्ज की माफी लेने में कामयाब पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन कठिन समय में उसका साथ देगा और डिफाल्टर होने के खतरा टल जाएगा। लेकिन चीन के रुख को देखकर लग रहा है कि चीन के माथे पर डिफॉल्टर का ठप्पा लगने ही वाला है।
इस पूरे प्रकरण में पाकिस्तानी के लिए सबसे शर्म की बात यह रही कि जब इमरान खान ने चीन के राष्ट्रपति से शी जिनपिंग से फोन पर वार्ता करना चाही तो बीजिंग ने इंकार कर दिया। चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा खरीद पर हुए समझौते को पुनर्गठित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज में किसी भी राहत के लिए चीनी बैंकों को अपने नियम और शर्तों में बदलाव करना होगा। चीनी बैंक पाकिस्तान सरकार के साथ पहले हुए समझौते के किसी भी शर्त को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सीनेटर और उद्योगपति नौमान वजीर ने कहा कि नैशनल इलेक्ट्रिक पॉवर रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जिस समय निजी क्षेत्र को ऊर्जा उत्पादन की अनुमति प्रदान की थी, उस समय टैरिफ बहुत ज्यादा रखा गया। उन्होंने कहा कि इसका खुलासा पाकिस्तान के पॉवर सेक्टर के ऑडिट से हुआ। कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्तान के डिफाल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।
पाकिस्तान पर 30दिसंबर 2020तक कुल 294अरब डॉलर का कर्ज था जो उसकी कुल जीडीपी का 109प्रतिशत है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज और जीडीपी का यह अनुपात वर्ष 2023के अंत तक 220फीसदी तक हो सकता है। यह वही साल है जब इमरान खान सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे। इमरान खान ने सत्ता संभालने से पहले चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे जो दुनिया से कर्ज के लिए भीख नहीं मांगेगा।