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चीनी दादागिरी नहीं चलेगी! भारत के इस फैसले से बढ़ेगी ड्रैगन की टेंशन, बोखलाए Jinping का क्या होगा अगला प्लान?

प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) काफी समय बाद विदेशी दौरे पर हैं। वह इस बार तीन देशो की यात्रा पर है। इन देशों के दौरे में चीन को घेरने की रणनीति राष्ट्राध्यक्षों के टॉप एजेंडे में रही। पीएम मोदी ने बिना कूटनीतिक शोर किए कई प्लेटफॉर्म पर इंडो पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते प्रभाव की ओर दुनिया के दिग्गजों का ध्यान आकर्षित कराया। हिरोशिमा में चाहे जी-7 हो या फिर क्वाड, न्यू पापुआ गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्वी में पैसिफिक क्षेत्र के 14 देशों के संगठन FIPIC हो या फिर ऑस्ट्रेलिया में पीएम अल्बानीज के साथ नरेंद्र मोदी की मीटिंग। हर एजेंडे में प्रधानमंत्री ने अपने समकक्षों को बढ़ते चीनी प्रभुत्व और विश्व राजनीति पर इसके असर की ओर ध्यान दिलाया।

पापुआ न्यू गिनी प्रशांत महासागर के सबसे बड़े द्वीपों में से एक है। ऑस्ट्रेलिया की मुख्य भूमि से 2,369 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित यह द्वीप राष्ट्र इस बार मोदी की विदेश यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा। पापुआ न्यू गिनी प्रशांत द्वीप देशों में सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यह द्वीप खनिज संसाधनों से भी समृद्ध है। यही कारण है कि पापुआ न्यू गिनी एक द्वीप होते हुए भी प्रशांत क्षेत्र पर हावी है।कई राजनीतिक पर्यवेक्षक पीएम मोदी के द्वीप राष्ट्र पर उतरने को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम मानते हैं। पापुआ न्यू गिनी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कम महत्वपूर्ण नहीं है। पापुआ न्यू गिनी सोने और तांबे की खानों में समृद्ध है। चीन पिछले कुछ वर्षों से इस द्वीप पर विहंगम दृष्टि बनाए हुए है, भले ही यह अमेरिका के ध्यान से बच गया हो।

क्या PM Modi ने बीजिंग के प्लान को खराब कर दिया है?

क्या पीएम मोदी ने द्वीप पर ध्यान केंद्रित करने की बीजिंग के प्लान को खराब कर दिया है? बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं। इसलिए इस दौरे को एक अलग ही आयाम मिला है। मोदी भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पापुआ न्यू गिनी गए। अन्य 14 प्रशांत द्वीप राष्ट्र राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। शिखर सम्मेलन के बाद पीएम मोदी और पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। वहां दोनों राष्ट्राध्यक्ष दोनों देशों के आपसी संबंधों को सुधारने को लेकर चर्चा की।

इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले नवंबर में माराप से मुलाकात की थी। बैंकॉक में उस बैठक में शी जिनपिंग ने दावा किया कि चीन और पापुआन्यू गिनी अच्छे दोस्त, अच्छे मददगार और भाई हैं। तभी दोनों देशों के बीच संबंधों के संकेत मिले थे। शी ने कहा, बीजिंग पापुआ न्यू गिनी में एक नई बेल्ट एंड रोड सहयोग परियोजना शुरू करने में रुचि रखता है। इसके अलावा, चीन ने द्वीप राष्ट्र में कृषि, मत्स्य पालन, आर्थिक और तकनीकी विकास में रुचि व्यक्त की थी।

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प्रशांत क्षेत्र में द्वीप राष्ट्र के आसपास चीन की गतिविधियों ने हाल ही में पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अलार्म के रूप में कार्य किया है। इस एरिया की जियो पॉलिटिक्स ऐसी है कि यदि आप उस द्वीप पर प्रभाव फैला सकते हैं तो आप दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ प्रशांत महासागर में भी कूटनीति में आगे हो सकते हैं ।