अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा तो कर लिया है, लेकिन उसके आने से देश की स्थिति बदतर होते जा रही है। लोगों के पास खाने के लिए रोटी नहीं है। जिसके लिए लोग अपने घरों का सामना लेकर बेचने के लिए सड़कों पर खड़े हैं। काबुल पर तालिबानी कब्जे का एक महीना पूरा होते ही देश में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही तालिबान वही शासन लागू कर रहा जो वो पिछली सरकार में लागू किया था।
तालिबान महिलाओं को काम पर जाने से रोक रहा है और विरोध प्रदर्शन करने पर उनके साथ मारपीट हो रही है। तालिबानी प्रवक्ता यह कह चुके हैं कि महिलाओं को क्रिकेट खेलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये इस्लाम के खिलाफ है। इसके साथ ही संगीत बजाने पर रोक है। कंधार में तालिबान ने हिंदी और फारसी पॉप संगीत और कॉल-इन शो के बजाय देशभक्ति से जुड़ें गाने बजाने के लिए कहा है।
वहीं, तालिबान ने कहा है कि सांस्कृतिक गतिविधियों की इजाजत तभी तक है, जब वो शरिया कानून और अफगानिस्तान की इस्लामिक संस्कृति के तहत हो। महिलाओं के लिए बुर्का और अबाया पहनना अनिवार्य किया गया, और पुरुषों को जींस के बजाया पारंपरिक कुर्जा सलवार पहनने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही तालिबान ने महिलाओं को सरकार में कोई जगह नहीं दी है साथ ही उनसे रोजगार भी छीन लिया है। यहां तक कि महिला कल्याण से जुड़ा मंत्रालय भी नहीं है। वहीं, तालिबान के आने के बाद लोग देश छोड़कर जा रहे हैं।
बताते चलें कि, 7 सितंबर को तालिबान ने आतंरिक सरकार का ऐलान किया था। जिसमें मोस्ट वॉन्टेड वैश्विक आतंकी शामिल हैं, इसके अलावा कंट्टरपंथी मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है।