अब कुछ ही दिन बाकी बचे हैं। पाकिस्तान किताब के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा। सिंधुस्थान, बलूचिस्तान, पखतूनिस्तान आजाद मुल्क की शक्ल ले लेंगे। गुलाम कश्मीर (पीओके), गिलगिट बालटिस्तान और पंजाब वापस भारत में मिल जाएंगे। इतिहास में लिखा जाएगा, ' सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद जब हिंदुस्तान को आजादी मिली तो कुछ सिरफिरों ने धर्म के नाम पर हिंदुस्तान का एक छीन कर उसका नाम पाकिस्तान रख दिया। यह पाकिस्तान 23 साल बाद दो टुकड़ों में बंट गया और एक नये देश बांगलादेश का उदय हुआ। इस घटना के लगभग 50 साल बाद पाकिस्तान एक बार फिर टूटा और चार नये देश बन गये। पाकिस्तान का वजूद खत्म हो गया।
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<li><strong>पाकिस्तान से आजाद होगा बलोचिस्तान</strong></li>
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पाकिस्तान के टूटने की यह भूमिका फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट की अक्टूबर में होने वाली घोषणा के परिप्रेक्ष्य में है। प्रधानमंत्री इमरान खान अब पाकिस्तान को न तो ब्लैकलिस्ट होने से बचा सकते हैं और न ही कई हिस्सों में टूटने से। इमरान खान, पाकिस्तान को बोरिस येल्तसिन कहलाए जाएंगे। सोवियत संघ बिखरने के बाद भी रूस तो बचा रहा लेकिन यहां कुछ भी नहीं बचेगा। दरअसल, इमरान खान की आखिरी आस उन दो विधेयकों से थी जो पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन में पारित होने के लिए लाए गये लेकिन खारिज हो गये। इमरान को इन विधेयकों से (झूठा) आसरा था अगर ये पारित हो गये तो आतंकवादियों को पालने और सप्लाई करने का ठप्पा हट सकेगा। इमरान खान की ये झूठी आस भी टूट गयी। इसलिए कहा जा रहा है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट होने से अब कोई नहीं बचा पाएगा।
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<li><strong>पाकिस्तान टूटेगा सिंधुस्तान बनेगा</strong></li>
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पाकिस्तान सरकार के पास अभी अपना पेट पालने के लिए भी पैसे नहीं हैं। चीन ने उधार दिया है तो विदेशों से गेंहूं आया है। सरकारी हुक्मरान और कारिंदों की सैलरी कई-कई महीनों से नहीं मिली हैं। पुलिस और सुरक्षा बल बाजारों में डकैती डाल रहे हैं। सऊदी ने उधार का पैसा मांगा तो चीन से मांग कर दिया। जब एफटीएफ ब्लैकलिस्ट में डाल देगा तो क्या होगा। इमरान सरकार के फेल होने और पाकिस्तान टूटने का सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ेगा। चीन 73 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा सीपेक में लगा चुका है। बीसियों बिलियन डॉलर के हथियार बगैरा दे रखे हैं। इसलिए जब दुनिया के लोगों ने कहना शुरू किया कि पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो जाएगा तो चीन की चीख निकल गयी।
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<li><strong>पंजाब, पीओके और गिलगिट-बालटिस्तान वापस भारत में मिल जाएंगे</strong></li>
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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिन ने झल्लाते हुए कहा कि आतंकवाद सभी देशों के लिए एक चुनौती है और पाकिस्तान ने इसके खिलाफ लड़ते हुए बलिदान दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसका सम्मान करना चाहिए। ध्यान रहे कि चीन इस समय कितना भी चीख रहा हो लेकिन जब खुद चीन एफएटीएफ का चेयरमैन था तब भी वो पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट की छाया से दूर नहीं कर पाया था। उस वक्त पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में था। चीन ग्रे लिस्ट से भी पाकिस्तान को बाहर नहीं निकाल पाया था।
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<li><strong>खैबर पख्तूख्वाह में होगी पखतूनिस्तान सरकार</strong></li>
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इससे पहले जून में एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पहुंचने वाली फंडिंग पर नकेल नहीं कस पाया है। एफएटीएफ का बयान ऐसे वक्त में आया था जब अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को भारत, अफगानिस्तान और श्रीलंका में आतंकी हमले करने वाले गिरोहों के पालने की जगह बताया है। तीन-तीन बार मौके दिए जाने के बाद भी आतंकियों का आका पाकिस्तान की समझ में नहीं, लेकिन अब कुछ समझ आ जाएगा। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी।.