एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट से हटने के लिए पाकिस्तान ने घोर बेइज्जति सही। चीन की नाराजागी की नाराजगी झेली। बलूचिस्तान में अमेरिकी एयरबेस के इस्तेमाल की इजाजत फिर से देदी, लेकिन पाकिस्तान फिलहाल एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट से बाहर नहीं होने जा रहा है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की संस्था एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में बरकरार रखा है। देश के फाइनेंसियस सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करने पर पाकिस्तान को FATF ने जून 2018में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान इस सूची से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा है।
एफएटीएफ ने अपनी जांच में यह पाया था कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ पाने में असक्षम रहा है तथा जो 27एक्शन प्लान पाकिस्तान को बताए गए थे उसका भी सही तरीके से अनुपालन नहीं हो सका था।
इसके अलावा एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को लेकर सेकेंड फॉलो-अप रिपोर्ट (FUR) भी जारी की है। यह रिपोर्ट आपसी मूल्यांकन पर आधारित है। इस रिपोर्ट में भी पाकिस्तान जरुरी मापदंडों पर खरा नहीं उतरा है। हालांकि, पेमरा (PEMRA) के शिकंजे में जकड़े पाकिस्तानी मीडिया ने एशिया पैसेफिक ग्रुप की एफएटीएफ को सौंपी नेगेटिव रिपोर्ट और पाकिस्तान के सिर पर लटकी ब्लैक लिस्ट की तलवार के बावजूद लिखा है कि पाकिस्तान अब तक कुल 40सिफारिशों में से 31का अनुपालन कर पाया है।
पाकिस्तान ने इस संबंध में जो रिपोर्ट सौंपी थी उसके मूल्यांकन करने की अंतिम तारीख 1 अक्टूबर, 2020 थी। इसका मतलब यह है कि इस्लामाबाद को आगे अभी और भी बेहतर करना होगा तब बड़े स्तर पर मूल्यांकन हो सकेगा। एपीजी की तरफ से साफ किया गया है कि 'पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ और भी ज्यादा ताकत से काम कर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी तथा उसे लगातार एपीजी को इस संबंध में किये गये अपने कार्यों की प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी।