Hindi News

indianarrative

27 साल के बिजनेसमैन ने भारत को कोरोना से जंग के लिए दान किए 83,77,44,96,000 रुपये, जानें कौन हैं विटालिक ब्यूटिरिन?

विटालिक ब्यूटिरिन ने कोरोना से जंग के लिए दिया एक बिलियन डॉलर का दान

भारत में कोरोना की दूसरी तांडव मचा रहा है। हालात इतनी खराब हैं कि स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। लोगों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं। ऑक्सीनज के कमी से जाने जा रही हैं। हालांकि इस मुश्किल वक्त में देश-विदेश के पैसे वाले लोग खुलकर दान कर रहे हैं। अब भारत को कोरोना सक्रमण से लड़ने के लिए एक बिलियन डॉलर की राशि दी गयी है। यह किसी देश ने नहीं बल्कि 27 वर्षिय लड़के ने दी है।

27 वर्षीय विटालिक द्वारा किए गए इस दान को मीम डिजिटल करेंसी के रूप में दिया गया है, जिसे शीबा इनु क्वाइन (Shiba Inu coin) कहा जाता है। इस क्वाइन का नाम एक कुत्ते की नस्ल पर रखा गया है। विटालिक ने इसके अलावा एथेरम के रूप में दान दिया है, जो उनकी खुद की क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) है।

कौन है विटालिक ब्यूटिरिन?

दरअसल क्रिप्टो करेंसी एथेरियम के फाउंडर विटालिक ब्यूटिरिन ने भारत की मदद के लिए 500 एथेरम क्वाइन और 50 ट्रिलियम SHIB मीम क्वाइन दान किया है। जिसकी कीमत करीब 1।14 बिलियन डॉलर है। भारत के हिसाब से देखें तो ये राशि 83।77 अरब (83,77,44,96,000 रुपये) रुपये है। भारत के ही संदीप नेलवाल ने कोरोना के कहर को देखते हुए इंडिया कोविड क्रिप्टो रिलीफ फंड बनाया था। जिसमें ये दान आया है।

संदीप नेलवाल को जब देश की मदद के लिए यह राशि मिली तो उन्होंने विटालिक को इस दान के लिए शुक्रिया करेत हुए लिखा है कि ‘शुक्रिया विटालिक ब्यूटिरिन। हमने एथेरम और विटालिक ब्यूटिरिन से समुदाय का महत्व सीखा है। उन्होंने इन पैसों का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करने और SHIB होल्डर्स का विशेष ध्यान रखने का भरोसा दिया है।

आपको बता दें कि भारत को क्रिप्टो करेंसी के रूप में बड़े पैमाने पर दान मिला है। 10 अलग-अलग क्रिप्टो करेंसी के जरिए मिले दान की कुल राशि छह मिलियन डॉलर से अधिक है। हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि क्रिप्टो करेंसी भारत में काम नहीं करती हैं, क्योंकि सरकार ने अभी तक इसे वैध नहीं किया है। दूसरी ओर, क्रिप्टो रिलीफ फंड की स्थापना करने को लेकर संदीप नेलवाल ने कहा कि हमने शुरू में भारत के सभी तीन क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंजों में CoinDCX, WazirX and BitBNS द्वारा दिए गए मदद पर विचार किया था। लेकिन इसमें जोखिम था, इसलिए हमने खुद का फंड बनाया।