प्रधानमंत्री मोदी ने G7 देशों के शिखर सम्मेलन में बड़ी चतुराई से पाकिस्तान, चीन को आड़े हाथों लिया वहीं कथित खालिस्तान के नाम पर ‘भटके’हुए कुछ सिख संगठनों को भारत के विरुदध समर्थन देने को भी खरे-खरे शब्दों में चेतावनी भी दी। फेसबुक-ट्विटर या व्हाट्सएप की हठधर्मिता पर रोक लगाने और दुनिया भर में खुली अर्थ व्यस्था के समर्थन की पैरोकारी की। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को G7समूह ने मान्यता देते हुए अपने एजेंडे में शामिल कर किया है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत सत्तावाद, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार और आर्थिक जबरदस्ती से पैदा होने वाले खतरों से हमारे साझा मूल्यों की रक्षा करने के लिए जी7 देशों का एक ‘स्वाभाविक’ सहयोगी है। प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस के निदान के लिए उदगम की पहचान का समर्थन किया।
जी-7 सम्मेलन में कोरोना की उत्पत्ति की फिर से जांच, ड्रैगन की आर्थिक नीतियों को चुनौती और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर रोक लगाने के लिए प्रेशर बढ़ाने पर सहमति बन गई है। जी-7के देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन हैं। इस मंच पर भारत को भी आमंत्रित किया गया था।
दुनिया के अमीर देशों के नेताओं ने गरीब देशों को कोविड-19रोधी टीके की एक अरब से ज्यादा खुराकें मुहैया कराने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम टैक्स का समर्थन किया और सहमति जताई कि वे चीन की बाजार विरोधी आर्थिक नीतियों से मुकाबला के लिए साथ मिलकर काम करेंगे और बीजिंग से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कहेंगे।
दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में रविवार को जी-7के शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि देशों को सीधे तौर पर और अंतरराष्ट्रीय कोवैक्स पहल, दोनों तरीके से टीकों की आपूर्ति की जाएगी। इस प्रतिबद्धता के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की कम से कम 70प्रतिशत आबादी के टीकाकरण और महामारी को समाप्त करने के लिए और 11अरब और खुराकों की जरूरत है।
G7की ओर से रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ''चीन के संबंध में और प्रतिस्पर्धा के लिए हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था को कमजोर करने वाली बाजार विरोधी नीतियों और प्रथाओं को चुनौती देने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर परामर्श करना जारी रखेंगे।'
नेताओं ने कहा कि वे चीन से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक आजादी का सम्मान करने के लिए कहेंगे। चीन पर आरोप है कि शिनजियांग में अल्पसंख्यक उईगरों के अधिकारों का वह हनन कर रहा है। सम्मेलन की मेजबानी करने वाले जॉनसन ने कहा कि दुनिया के बाकी हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूल्य को प्रदर्शित करने और दुनिया के गरीब देशों को टिकाऊ विकास के लिए जी-7नेताओं के बीच "शानदार सद्भाव" है।
G7के देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से कहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की अगुआई में वैज्ञानिक तरीके से दोबारा जांच की जाए। यह जांच निश्चित समय में और पारदर्शी तरीके से की जाए। गौरतलब है कि पहले हुई जांच का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। चीन ने उस समय जांच करने गए विशेषज्ञों को अपने तरीके से पड़ताल करने से रोका था।
इस आर्टिकल को शेयर