Hindi News

indianarrative

भारत की बढ़ती ताकत से दबाव में पाकिस्तान, इमरान के बाद आर्मी चीफ बाजवा के मुंह से निकले ‘शांति के सुर’

पाकिस्तान के बदले-बदले सुर!

भयंकर आर्थिक दबाव और भारत की बढ़ती आर्थिक और सैनिक शक्ति के आगे पाकिस्तान पस्त हो गया है। पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों त्राहि माम कर रहे हैं। एक दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को सेंट्रल एशिया तक जाने का रास्ता देने का प्रस्ताव रखा तो उनके एक दिन बाद एक कदम आगे बढ़ कर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने कहा है कि पिछली कड़वी बातों को भूल कर दोनों देशों को आगे बढ़ने का समय है।

इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता में पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के लिए ‘‘अतीत को भूलने और आगे बढ़ने’’ का समय है। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति से दक्षिण और मध्य एशिया में विकास की संभावनाओं को खोलने’ में मदद मिलेगी। हालांकि, जनरल बाजवा ने कहा कि क्षेत्रीय शांति और विकास की संभावना अनसुलझे मुद्दों के कारण हमेशा बंधक रही है।उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह समय अतीत को भूलने और आगे बढ़ने का है।

ध्यान रहे कि 1947 से ही पाकिस्तान कश्मीर में घुसपैठ और आतंकी हमले करवाता रहा है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करना होगा, तभी भारत वार्ता के लिए आगे बढ़ेगा। अब ऐसा लग रहा है कि भारत की रणनीति काम आ रही है, लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा करना मुश्किल है।

भारत ने पिछले महीने ही कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध की आकांक्षा करता है। भारत ने कहा था कि इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे।

जनरल बाजवा ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसी को विशेष रूप से कश्मीर में एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इनमें सबसे अहम मुद्दा कश्मीर का है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से कश्मीर विवाद के समाधान के बिना इस क्षेत्र में शांति की कोई भी पहल सफल नहीं हो सकती है।’’

जनरल बाजवा के बयान से एक दिन पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसी स्थान पर यही बयान दिया था।खान ने बुधवार को कहा था कि उनके मुल्क के साथ शांति रखने पर भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा था कि इससे भारत को पाकिस्तानी भू-भाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा था, ‘‘भारत को पहला कदम उठाना होगा। वे जब तक ऐसा नहीं करेंगे, हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं।जनरल बाजवा ने कहा कि पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुनिश्चित करके ‘‘दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए’’ भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का माहौल होना बहुत आवश्यक है।