एक बार फिर भारत का वांटेड नंबर वन, पाकिस्तानी आतंकी सरगना हाफिज सईद सुर्खियों में है। 19 नवबंर को पाकिस्तान की एक आतंक-निरोधी कोर्ट ने उसे दो अलग-अलग केस में 5-5 साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर होने की जुर्म में 6 महीने की सजा सुनाई है। सारी सजाएं एक साथ चलेंगी। इसका मतलब है कि अगर वो अपनी सजा पूरी करता है तो सिर्फ साढ़े पांच साल तक ही जेल में रहेगा। लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ है।
हाफिज सईद के वकीलों की फौज ने कहा है कि वो इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालतों में जाएंगे। इसके पहले हाफिज मोहम्मद सईद को फरवरी में दो अलग-अलग मामलों में साढ़े पांच, साढ़े पांच साल की सुनाई गयी थी और ये सजाएं भी एक साथ चलनी थीं। कोर्ट ने हाफिज के बैंक एकाउंट भी सीज करने का आदेश दिया था। पाकिस्तानी पत्रकार इम्तियाज गुल का मानना है कि यह सब तमाशा है। गुल के अनुसार, "अरेस्ट, रिलीज और फिर रिपीट ..2001 से हम देख रहे हैं। अब तक 8 बार वो गिरफ्तार होकर रिलीज हो चुका है..यह सब सारा टैक्टिकल है। किस आरोप में सजा हुई है, टेरर फंडिग में और कुल मिला कर कितनी सजा हुई है..जिस तरह के संगीन आरोप हैं, उस लिहाज से यह सजा कुछ भी नहीं। क्या आपके मुबई अटैक के मामले में सजा हुई ..नहीं।"
बात में दम तो है। जिस आंतकवादी को यूएन द्वारा "ग्लोबल टेररिस्ट" घोषित किया चुका है, जिस पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का ईनाम रखा है। उस पर अदालत में जो आरोप लगाए गए हैं, बिलकुल मामूली हैं। पिछली बार वो पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार हुआ था। तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट में कहा था, "दो साल से अमेरिका के प्रेशर के बाद, हाफिज आखिरकार पकड़ा गया।" साफ था कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान पर अमरिकी दबाव था। क्योंकि वो अमेरिका जाकर राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने वाले थे।
हाफिज सईद की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तानी हुकूमत हमेशा नाटक करती रही है। इस साल फरवरी मे अंतर्राष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ (Financial Action Task Force-FATF) की मीटिंग से पहले हाफिज और उसके साथियों को सजा सुनाई गई। क्योंकि पाकिस्तान ग्रे-लिस्ट से बाहर निकलना चाहता था। चीन के सहयोग के बावजूद पाकिस्तान की दाल नहीं गली और पाकिस्तान अगले साल फरवरी में होने वाली मीटिंग तक ग्रे-लिस्ट में बना रहेगा। इसी मीटिंग में यह तय होगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में रखा जाए या नहीं।
पाकिस्तानी अखबार डान के पत्रकार राना बिलाल के मुताबिक, "पाकिस्तान में एक तंजीम को बैन कर दो, तो वो शख्स नए नाम के साथ दूसरी तंजीम बना कर खुलेआम चलाता है।"
पाकिस्तान की सरकार हाफिज सईद पर किस कदर मेहरबान है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सजायाफ्ता हाफिज और उसके साथियों के सीज हुए बैक खातों को जुलाई में फिर से खोलने की अनुमति मिल गई। सरकार की तरफ से कहा गया कि बैंक अकाउंट इसलिए खोले गए ताकि उनके परिवारों का खर्च चल सके। रही-सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी। इसी साल मई में पाकिस्तानी सरकार ने हाफिज सईद जैसे कई खूंखार आतंकवादियों को जेल की बजाय अपने-अपने घरों में रहने की इजाजत दे दी। ताकि वो सुरक्षित रह सकें।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर बताया था कि लाहौर जेल में करीब 50 कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इस मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने हाफिज और उसके साथियों को तुरंत छोड़ दिया। जब दुनिया इस महामारी से जूझ रही है, पाकिस्तान अपने आतंकियों को महफूज रखने में लगा हुआ है।
जानकारों का मानना है कि हाफिज सईद पर यह सारी कार्रवाई सिर्फ दिखावे की है। पाकिस्तान की यह एक और चाल है। दरअसल, अमेरिका में चुनाव के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। ऐसे में पाकिस्तान हाफिज को सजा देकर आतंकवाद विरोधी छवि पेश करना चाहता है।
जानकारों के मुताबिक, हाफिज सईद पाकिस्तान की जेल में कड़े सुरक्षा घेरे में है और जेल से ही वो भारत के खिलाफ षडयंत्र करने में लगा हुआ है। पिछले दिनों उसकी मुलाकात अल-कायदा के नेताओं से हुई थी। जिसमें कश्मीर में गड़बड़ी कराने की योजना पर दोनों ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद से कहा है कि वो अल-कायदा के साथ मिल कर कश्मीर में आतंक फैलाएं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने के लिए द रेसिस्टेंट फोर्स (The Resistence Force), तहरीक-ए-मिल्लत (Teehreek-e-Millat-e-Islami (TMI) और गजनवी फोर्स ( Ghaznavi Force) जैसे ग्रुप बनाए गए हैं। जिससे कश्मीर में हिंसा का सिलसिला जारी रखा जा सके।
हाफिज सईद, भारत का सबसे वांछित अपराधी है। पाकिस्तान को सारे सबूत सौंपने के बाद भी आज तक पाकिस्तान में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पाकिस्तानी जानकारों का कहना है कि आंतक विरोधी जैसे (डेजिग्नेटेड) कोर्ट का कोई खास मतलब नहीं है। यह अमेरिका और यूएन और एफएटीएफ की आखों में धूल झोंकने के लिए बनाए गए हैं। फरवरी तक इंतजार कीजिए, "हाफिज साहब" हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेकर औपचारिक तौर पर बाहर आ जाएंगे।.