चीन को अनदेखा कर नेपाल ने भारत को एक और पनबिजली परियोजना सौंपने का फैसला किया है। यह भारत-नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। क्योंकि नेपाल के इस पनबिजली परियोजना पर चीन की निगाह काफी दिन से टिकी थी। जो हर तरह से प्रयास में था कि उसे ही यह परियोजना मिले। लेकिन नेपाल ने इस परियोजना के जरिए भारत से अपनी गहरी दोस्ती पर एक और मुहर लगा दी है।
इससे पहले नेपाल ने अरुण-3 पनबिजली परियोजना भारत को सौंपी थी। अब पड़ोसी देश ने पनबिजली परियोजना- लोअर अरुण हाइडल प्रोजेक्ट का काम भारत के सतलुज जल विद्युत निगम को सौंपा है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में इसका निर्णय किया गया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, पीएम की अध्यक्षता वाली इन्वेस्टमेंट बोर्ड नेपाल (IBN) की बैठक में बूट (बिल्ड, ओन, ऑपरेट और ट्रांसफर) डिलीवरी प्रक्रिया के तहत 679मेगावाट वाली लोअर अरुण पनबिजली परियोजना का काम सतलुज जल विद्युत निगम को सौंपा गया।
इससे पूर्व IBNने 900मेगावाट इंस्टालेशन कैपेसिटी वाली परियोजना का काम पूरा करने के लिए संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी- हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी इन्वेस्टमेंट ऐंड डेवेलपमेंट कंपनी (HIDC), पॉवर कंस्ट्रक्शन ऑफ चाइना लिमिटेड, और भारत की सतलुज जल विद्युत निगम, संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी- ग्रीन रिसोर्सेज लिमिटेड और इलेक्ट्रिकल पॉवर डेवेलपमेंट कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया था।
IBN के मुताबिक, अरुण-3पनबिजली परियोजना की ही तरह लोअर अरुण हाइडल प्रोजेक्ट को पूरा करने वाली कंपनी को भी कुछ प्रतिशत बिजली मुफ्त में देने को प्राथमिकता देनी होगी। अरुण-3पनबिजली परियोजना भी रियायती अवधि के दौरान 21 प्रतिशत बिजली मुफ्त में नेपाल को उपलब्ध कराएगी। लोअर अरुण परियोजना पर अनुमानित 100 अरब नेपाली रुपये की लागत आएगी।
गौरतलब है कि अरुण-3 नेपाल की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना है और इसे भारत की सहायता से तैयार किया जा रहा है। नेपाल के एवरेस्ट बैंक व नबील बैंक ने इस परियोजना के लिए 1,536 करोड़ नेपाली रुपये ऋण देने पर सहमति व्यक्त की है, जबकि भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और यूबीआई समेत पांच भारतीय बैंकों ने इसके लिए 8,598 करोड़ नेपाली रुपये का वादा किया है। सितंबर, 2019 में भारत ने लोअर अरुण प्राजेक्ट का काम करने की इच्छा जताई थी।