दुनिया रुतबे को सलाम करती है। यह बात एकदम भारत पर फिट बैठती है। इन दिनों भारत की विश्व समुदाय में पूछ बढ़ने की वजह है हर मोर्चे पर उसका रुतबा बढ़ना है। इसके लिए सबसे बड़ी वजह मोदी सरकार की नीतियां हैं। जो सरकार के पिछले छह सालों में बढ़े रुतबे की वजह बनी। इससे अमेरिका में सत्ता बदलने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बताया है। उन्होंने कहा, अमेरिका भारत के विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय और क्षेत्र के एक प्रहरी के रूप में उसकी भूमिका का स्वागत करता है। बाइडेन प्रशासन ने यह भी कहा कि वह भारत-चीन सीमा के हालात पर पैनी नजर रखे हुए है। अमेरिका ने चीन के डराने-धमकाने वाले रवैए पर चिंता जताई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा,भारत, हिंद- प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक अहम साझेदार है। हम भारत के विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय और क्षेत्र के एक प्रहरी के रूप में उसकी भूमिका का स्वागत करते हैं। इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मंगलवार को बातचीत की थी। दोनों नेताओं ने म्यांमा के हालात पर तथा साझा चिंताओं वाले अन्य मुद्दों पर चर्चा की।
ब्लिंकन ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर चिंता जताई और कानून के शासन तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया के महत्व पर भी चर्चा की। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका के सहयोग के महत्व सहित क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श किया। प्राइस ने कहा, दोनों पक्षों ने क्वाड के जरिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने तथा कोविड-19महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने की उम्मीद जताई।प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, अमेरिका और भारत की ‘समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी’ व्यापक होने के साथ-साथ बहुआयामी भी है।
नेड प्राइस ने कहा, भारत-चीन सीमा के हालात पर अमेरिका पैनी नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के रवैए पर चिंता व्यक्त की है। नेड प्राइस ने कहा, हम हालात पर पैनी नजर रखे हुए हैं। हम भारत एवं चीन की सरकारों के बीच जारी वार्ता से अवगत हैं और सीधी वार्ता और उन सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार समर्थन कर रहे हैं। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर गतिरोध चल रहा है।
पिछले महीने नौवें दौर की सैन्य बातचीत में भारत और चीन के बीच सेनाओं को जल्द से जल्द हटाने और पूर्वी लद्दाख में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रभावी प्रयास करने पर सहमति बनी थी। एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा, हम पड़ोसियों को डराने धमकाने के चीन के लगातार जारी रवैये से चिंतित हैं। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मामले में साझा समृद्धि, सुरक्षा और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे।