एक ओर दुनिया से तालिबान और उसके सहयोगियों को अलग-थलग करने के लिए विश्व संस्थाएं सक्रिए हो गई हैं। ये सारी कार्रवाई तालिबान को अफगानिस्तान में प्रजातांत्रिक दायरे में शासन तंत्र का गठन करने और मानवीय अधिकारों तथा निजता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए की जा रही है। दूसरी ओर तालिबान के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
तालिबान ने अभी तक जिस अंतरिम कैबिनेट के नामों का खुलासा किया है उससे समावेशी सरकार के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। अभी तक जितने भी नामों का खुलासा हुआ है वे सब तालिबानी आतंकियों के ही हैं। अफगानिस्तान के लोग किसी भी तरह देश छोड़ कर दुनिया के किसी भी हिस्से में जाने को तैयार हैं लेकिन वो अफगानिस्तान में नहीं रहना चाहते। काबुल में लोगों ने अपने घरों का सामान फुटपाथ पर रखकर बेचना शुरू कर दिया है। काबुल के लोग किसी भी कीमत पर देश से बाहर चले जाना चाहते हैं। उन्हें आशंका है कि तालिबान उनका जीवन नर्क बना देगा।
इसी बीच जी-7 और अमेरिका ने तालिबान से गारंटी मांगी है कि 31 अगस्त के बाद भी काबुल से सुरक्षित निकासी जारी रहेगी। तालिबान के अड़ियल रुख को देखते हुए अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने पेंटागन से किसी भी एक्शन के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। यूरोपियन यूनियन ने भी कहा है अमेरिका तालिबान इस बात की गारंटी ले कि 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान से बाहर जाने वालों को परेशान न किया जाए। की मुश्कें कसने का काम शुरू कर दिया है। आईएमएफ के बाद वर्ल्ड बैंक ने भी अफगानिस्तान को वित्तीय मदद देने से इंकार कर दिया है।
आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के इस रुख को देखते हुए तालिबान ने चीन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। चीन की शीजिनपिंग सरकार ने भी तालिबान को वित्तीय मदद देने का प्रस्ताव पोलित ब्यूरो के सामने रखा है। कहने के लिए यह मात्र औपचारिकता है लेकिन चीन शिनजियांग में आतंकियों को मदद न देने के आश्वासन को धरातल पर उतारने के बाद ही तालिबान को मदद देगा। ईस्ट तुर्कमेनिस्तान मूवमेंट के सशत्र विद्रोहियों और तालिबान के बीच अभी तक बहुत अच्छे संबंध हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर ईस्ट तुर्कमेनिस्तान मूवमेंट ने खुशी जाहिर की थी।
तालिबान ने चीन को आश्वासन दिया है कि किसी अन्य देश में आतंकी गतिविधि चलाने के लिए अफगानिस्तान की धरती के उपयोग की इजाजत नहीं दी जाएगी। मुल्ला ब्रादर और वांग ई की तियानजिंग में मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने कंधार में एक बार फिर मुल्ला ब्रादर से मुलाकात की थी। इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने काबुल स्थित अपने दूतावास के कर्मचारियों को हिदायत दी कि तालिबान के ड्रेस कोड और रिलीजियस कोड का सख्ती से पालन किया जाए। यह पहली बार है कि कोई कम्युनिस्ट सरकार अपने कर्मचारियों से रिलीजियस कोड को पालन करने का निर्देश दे रही है। चीन में कम्युनिज्म के अलावा कोई दूसरा धर्म या जीवन पद्यति नहीं है। कम्युनिज्म के अलावा किसी भी धर्म का पालन करने वाले के खिलाफ चीन में सख्त कार्रवाई की जाती है, मगर अफगानिस्तान में अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए चीन ने अपने मूल भूत सिद्धांतों में भी बदलाव कर दिया है। आतंकवादी तालिबान शासन और चीन की कम्युनिस्ट सरकार की दोस्ती को दुनिया संशय की नजर से देख रही है।