पाकिस्तानी पीएम इमरान खान अपनी सरकार और पाकिस्तानी जनरल बाजवा अपनी इज्जत बचाने के लिए भारतीय नेवी के पूर्व अफसर कुलभूषण यादव की हत्या करने (फांसी पर चढ़ाने) वाले हैं। अदालती कार्रवाई की आड़ में इमरान ने कुलभूषण को सूली चढ़ाने का प्लान बना लिया है। क्योंकि पाकिस्तानी वकीलों ने कुलभूषण का केस लड़ने से इंकार कर दिया है और इमरान सरकार ने भारतीय वकीलों या क्वींस काउंसलर की नियुक्ति से इंकार कर दिया है। इससे साफ है कि लाहौर कोर्ट की दी गयी मौहलत खत्म हो रही है। अगली तारीख पर कुलभूषण की ओर से कोई वकील पेश न होने पर यह मान लिया जाएगा कि भारत कुलभूषण की ओर से वकील खड़ा नहीं कर पाया। अदालत की औपचारिकता पूरी हो जाएगी और कुलभूषण को फांसी पर चढ़ाने का फैसला सुना दिया जाएगा। यह अदालत की औपचारिकता नहीं बल्कि इमरान खान और जनरल बाजवा की यह चाल है कि गिलगिट बालटिस्तान के चुनाव से पहले कुलभूषण की हत्या (फांसी पर चढ़ा) कर कट्टरपंथियों के वोट हासिल कर लिए जाएं।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के दो सबसे वरिष्ठ वकीलों आबिद हसन मिंटो और मखदूम अली खान से सहायता मांगी थी। दोनों ने खेद व्यक्त करते हुए कुलभूषण जाधव की ओर से कोर्ट में पेश होने से इनकार कर दिया है। उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय को अपने फैसले के बारे में सूचित किया है। आबिद हसन मिंटो ने कहा कि वह सेवानिवृत्त हो गए हैं और अब वकालत नहीं करेंगे। वहीं, मखदूम अली खान ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला दिया है।
पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के मामले में कोई भारतीय वकील या क्वींस कांउसल नियुक्त किए जाने की भारत की मांग को पहले ही खारिज कर चुका है। पाकिस्तान ने कहा था कि हमने भारत को सूचित किया है कि केवल उन वकीलों को पाकिस्तानी अदालतों में उपस्थित होने की अनुमति है जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है। इस परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। क्वींस काउंसल एक ऐसा बैरिस्टर या अधिवक्ता होता है, जिसे लॉर्ड चांसलर की सिफारिश पर ब्रिटिश महारानी के लिये नियुक्त किया जाता है।
इससे पहले पाकिस्तान की संसद ने उस अध्यादेश को चार महीने के लिए विस्तार दे दिया जिसके तहत जाधव को हाई कोर्ट में अपील करने का मौका मिला है। इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने आदेश पर पाकिस्तान यह अध्यादेश लाया था। जाधव तक राजनयिक पहुंच देने से मना किए जाने पर भारत ने 2017 में पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रुख किया था और एक सैन्य अदालत द्वारा उन्हें जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी थी।.