पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के पीएम मोदी के सामने अपनी मांग रखी है। दरअसल, पाकिस्तान ने कहा है कि वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गिरी मिसाइल के दुर्घटनावश चलने पर भारत के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है। इसलिए वो पीएम मोदी से इस घटना से संबंधित तथ्यों का सही तरीके से पता लगाने के लिए एक संयुक्त जांच की मांग की है। आपतो बता दें कि 9 मार्च को भारतीय मिसाइल, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मियां चन्नू इलाके के पास गिरी थी। राहत की बात ये है कि इसमें किसी भी नागरिक या सम्पत्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ था।
भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह घटना अत्यंत खेदजनक है, राहत की बात है कि कोई जनहानि नहीं हुई। तकनीकी खराबी के कारण नौ मार्च को नियमित रखरखाव के दौरान दुर्घटनावश एक मिसाइल चल गई। भारत सरकार ने दुर्घटनावश मिसाइल चल जाने की घटना को गंभीरता से लिया है और उच्च स्तरीय 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' के आदेश दिए हैं। पाकिस्तान ने गलती से चली मिसाइल का उड़ान पथ मुहैया कराने की भी मांग की और यह जानना चाहा कि यह अंततः कैसे बदल गया और मिसाइल पाकिस्तान में प्रवेश कर गई। इसने पूछा कि क्या मिसाइल स्वत:नष्ट होने के तंत्र से लैस थी और यह इसमें विफल क्यों हुई?
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के पत्र सूचना कार्यालय की रक्षा इकाई के उस प्रेस वक्तव्य पर गौर किया है, जिसमें उसने 9 मार्च को पाकिस्तानी क्षेत्र में गिरी भारतीय मिसाइल के तकनीकी खराबी के चलते दुर्घटनावश चलने पर खेद व्यक्त किया है और एक उच्च स्तरीय कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कराने का निर्णय किया है। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने भारत उपराजदूत को तलब किया गया था और बगैर किसी उकसावे के भारतीय मिसाइल द्वारा उसके वायुक्षेत्र के उल्लंघन को लेकर अपना गहरा प्रतिरोध दर्ज कराया।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने शुक्रवार को संवेदनशील प्रौद्योगिकी को संभाल पाने की भारत की क्षमता पर सवाल खड़ा किया और कहा कि भारत सरकार ने दुर्घटनावश मिसाइल चल जाने की घटना के बारे में पाकिस्तान सरकार को अवगत भी नहीं कराया। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि यह घटना परमाण्विक वातावरण में दुर्घटनावश या अनधिकृत मिसाइल प्रक्षेपण के खिलाफ सुरक्षा प्रोटोकॉल और तकनीकी सुरक्षा उपायों के संबंध में कई बुनियादी सवाल उठाती है। उसने कहा कि इस तरह के एक गंभीर मामले को भारतीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत सरलीकृत स्पष्टीकरण से हल नहीं किया जा सकता है।