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फौज के दबाव में इमरान खान, बोले आईएसआई मेरे भी फोन करती है टेप!

फौज के दबाव में इमरान खान, बोले आईएसआई मेरे भी फोन करती है टेप!

पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर आजकल इमरान खान (imran Khan) के एक इंटरव्यू का खासा मजाक बना हुआ है। एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान  (Imran Khan) ने पाकिस्तानी आर्मी और खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की जमकर तारीफ की, "आईएसआई दुनिया की सबसे आउटस्टैंडिंग एजेंसी है। मैं क्या करता हूं, मैं फोन पर किससे बात करता हूं, क्या बात करता हूं, आईएसआई को सब पता होता है।" जब इमरान खान (Imran Khan) से पूछा गया कि क्या यह उचित है कि एक प्राइम मिनिस्टर की हर बात यहां तक प्राइवेट भी आईएसआई सुने, तो इमरान खान (Imran Khan) का जवाब था, "क्यों नहीं, आईएसआई का काम है मुल्क के वजीरे आजम को प्रोटेक्ट करना और उसे इमरान खान (Imran Khan)की हर बार पता होना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप की हर बात सीआईए सुनती है।"

बस इतनी सी बात का "बकौल इमरान खान" पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर मजाक उड़ रहा है। वैसे भी पाकिस्तान में इमरान खान को कोई गंभीरता से नहीं लेता-न आवाम और न आर्मी, जिसने उन्हें पीएम की कुर्सी पर बिठाया है। इमरान खान और उनकी सरकार को पाकिस्तानी आर्मी की कठपुतली (Puppet) कहा जाता है। पहले ही सारा विपक्ष एक होकर इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहा है। इमरान खान का यह बयान, उनके इस आरोप को सही ठहराता है कि इमरान आर्मी के रहमोकरम पर टिके हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी की उपाध्यक्ष <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/pdm-multan-rally-daughters-of-two-former-pakistani-prime-ministers-to-attend-rally-on-30th-november-19677.html">मरियम नवाज</a> का कहना है, "इस पपेट, सेलेक्टेट प्राइम मिनिस्टर इमरान में आईएसआई से यह तक पूछने की हिम्मत नहीं है कि वह उनके फोन क्यों टेप कर रही, क्यों उनकी बातें सुन रही है। उन्हें आईएसआई से कहना चाहिए कि आखिर जुर्रत कैसे हुई तुम्हारी एजेंसी की, जो पीएम के अंडर है। आईएसआई प्रधानमंत्री और उनके फोन टेप करती है। यह मेरे लिए खबर नहीं है। यदि इस कठपुतली "इमरान खान" में थोड़ी भी हिम्मत है तो उन्हें इस मुद्दे पर आईएसआई को फटकार लगानी चाहिए।"
<h3>आईएसआई के पूर्व चीफ असद दुर्रानी ने उठाए सवाल</h3>
लेकिन इमरान खान में इतनी हिम्मत कहां कि वो अपने आकाओं से सवाल कर सकें। 2018 के चुनाव से पहले यही<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/pml-n-leader-maryam-nawaz-sharif-compares-pakistani-prime-minister-imran-khan-to-covid-19-virus-during-an-election-rally-in-gilgit-baltistan-17714.html"> इमरान खान</a> आर्मी और आईएसआई को पाकिस्तानी जम्हूरियत के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते थे। लेकिन आर्मी की कृपा से प्रधानमंत्री बनते ही फौरन "यू टर्न" ले लिया। आर्मी इस्टेब्लिशमेंट को भी लगा था कि इमरान खान कुछ करेंगे, लेकिन दो साल बाद यह भ्रम टूट गया। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के पूर्व चीफ ले. जनरल (रिटायर्ड) असद दुर्रानी का कहना है कि <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/imran-khan-mian-himself-trounced-edifying-others-14987.html">इमरान खान की असलियत</a> सामने आ गयी है। यह सरकार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अस्थिरता के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
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<p dir="rtl" lang="ur">“جو میں کرتا ہوں جس بات کرتا ہوں لمبر ون کو پتہ ہوتا ہے”
“ویسے پتہ ہونا چاہئیے”
“بالکل”
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مطمعین ۔۔
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— Gul Bukhari (@GulBukhari) <a href="https://twitter.com/GulBukhari/status/1332799866897125378?ref_src=twsrc%5Etfw">November 28, 2020</a></blockquote>
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दुर्रानी ने कहा, "यह बात पक्की है कि अंदर का मामला हमेशा ज्यादा खतरनाक होता है। हमारी <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/people-suffering-food-shortage-in-pakistan-ask-army-to-help-14526.html">अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है,</a> देश में आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता और बदहाली हो गई है। पाकिस्तान में सारी समस्याएं एक साथ ही आ गई हैं।" हाल ही में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में दुर्रानी ने इमरान खान की सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया, "ये कैसी सरकार है जो हमेशा अपने यूटर्न को सही ठहराने में लगी रहती है।" यह पहला मौका है जब पाकिस्तानी आर्मी के एक सीनियर जनरल ने इमरान खान की खुलेआम आलोचना की है।

दुर्रानी का कहना है कि चाहे बलूचिस्तान का मामला हो या फिर फाटा (FATA) का या फिर गिलगिट-बाल्टिस्तान का, सरकार हर अंदरूनी मोर्चे पर नाकाम रही है। यही नहीं, इमरान खान की सरकार ने पुराने गल्फ के साथियों को भी नाराज कर दिया है। "क्या जरूरत थी गिलगिट-बाल्टिस्तान का स्टेटस बदलने की?" बलूचिस्तान जैसे कई इलाके हैं, जहां पर लोगों के बीच बहुत ही असंतोष है और वे राजनीतिक रूप से खुद को अलग-थलग और वंचित महसूस करते हैं। सरकार की विश्वसनीयता खराब है, क्योंकि लोगों को लगता है कि इमरान खान आर्मी की मदद से सत्ता में आए हैं।" दुर्रानी के इस बयान से पाकिस्तान की सरकार और आर्मी में काफी खलबली मची है।

दुर्रानी ने पिछले साल रॉ के पूर्व चीफ ए.एस. दौलत के साथ मिलकर एक किताब <strong>The Spy Chronicles : Raw, ISI and the Illusion Of Peace</strong> लिखी थी। यह किताब पाकिस्तान में "बैन" कर दी गई थी और दुर्रानी को मिलिट्री कोड के उल्लघंन करने का दोषी करार दिया गया था। लेकिन उनके रैंक को बरकरार रखा गया था, क्योंकि पाकिस्तानी आर्मी और राजनीति में उनकी खासी साख अभी है। पाकिस्तानी जानकारों के मुताबिक, दुर्रानी का यह बयान एसे समय में आया है जब पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा पर ही सवाल उठ रहे हैं। 11 विपक्षी पार्टियों के संगठन पीडीएम (People’s democratic Movement-PDM) ने इमरान खान के इस्तीफे की मांग को लेकर पूरे देश में आंदोलन छेड़ रखा है।
<h3>विपक्षी पार्टियों का आर्मी चीफ बाजवा पर आरोप</h3>
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में आर्मी चीफ बाजवा का हाथ है। लिहाजा वह भी पाकिस्तान की बदहाली के लिए जिम्मेदार हैं। उधर अपदस्थ पीएम नवाज शरीफ लंदन से बाजवा और इमरान को हर रोज ललकार रहे हैं। पिछले 2 महीनों में पीडीएम ने देश के हिस्सों में तीन रैलियां की हैं, जिसे भरपूर समर्थन मिल रहा है। अगली रैली 13 दिसंबर को लाहौर में है, जिसे नवाज शरीफ का गढ़ माना जाता है। जानकारों के मुताबिक बाजवा को इमरान खान की चिंता नहीं, बल्कि अपनी फिक्र है। "आर्मी के जनरलों को लग रहा है कि इमरान खान सेना पर कुछ ज्यादा ही बोझ बन गए हैं। लेकिन सवाल है कि हटाए कैसें? इसके लिए बाजवा को विपक्ष से हाथ मिलाना पड़ेगा। अब देखिए, बैक डोर से बातचीत चल रही है। नवाज शरीफ को भी टोन डाउन करना पड़ेगा।"

पाकिस्तानी थिंक टैंक और वकील अनीस जिलानी के मुताबिक <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/imran-khan-kabul-visits-peace-taliban-ashraf-ghani-18346.html">पाकिस्तान की राजनीति से अल्लाह और आर्मी को अलग करना नामुमकिन है।</a> इसका एक ही रास्ता है और वो है बीच का, जिसके लिए विपक्षी पार्टियों के बीच एक राय बनाने की कोशिश की जा रही है कि उनका सीधा निशाना इमरान खान पर हो, आर्मी चीफ बाजवा पर नहीं। इस आशय का एक खत जेल में बंद नवाज शरीफ के भाई और पार्टी के सीनियर नेता शहबाज शरीफ ने विपक्षी पार्टियों के सारे प्रमुखों को लिखा है। "अगर देश को इस हालात से बाहर निकालना है तो तमाम राजनीतिक पार्टियों को एक साथ मिलकर इसका हल ढूंढ़ना होगा, एक नेशनल डायलॉग कायम करना होगा।"
<h3>मरियम शरीफ और बिलावल भुट्टो के बीच सहमति</h3>
शहबाज की बात से उनकी भतीजी मरियम नवाज, पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो के बीच सहमति के आसार नजर आ रहे हैं। लेकिन इसके लिए जनरल बाजवा को इमरान खान की कुर्बानी देनी पड़ेगी। विपक्षी पार्टियों ने अगले साल 4 जनवरी तक इमरान खान को इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। 13 दिसंबर की रैली के बाद विपक्षी पार्टियों की मुहिम का दूसरा चरण शुरू होगा, जिसमें राजधानी इस्लामाबाद का घेराव करने की योजना है। पिछली रैलियों की सफलताओं को देखते हुए यह तो कहा जा सकता है कि यह घेराबंदी भी पुरजोर होगी।

गौरतलब है कि पाकिस्तानी संसद में पिछले दो महीनों से काम ठप पड़ा है। रही बात आईएसआई द्वारा इमरान खान के फोन कॉल्स सुनने की, तो इमरान खान को पूरा भरोसा है कि यह सब उन्हें प्रोटेक्ट करने के लिए किया जा रहा है।.