पाकिस्तान के हिस्से में रह गए हिंदू-सिख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को मस्जिदों में तब्दील करने के लिए नई साजिश रची गई है। यह साजिश इतनी खतरनाक है कि आने वाले कुछ दिनों में पाकिस्तान में हिंदू और सिखों के पूर्वजों की एक भी निशानी नहीं बचेगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह साजिश ठीक उसी तरह रची है जैसी तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान ने ऐतिहासिक ईसाई गिरिजाघरों के खिलाफ की है। एर्दोगान ने ऐतिहासिक ईसाई गिरजाघरों को मस्जिदों में बदलना शुरू कर दिया है।
<img class="wp-image-16847 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/Gurudwara-Choa-Sahib.jpg" alt="Gurudwara Choa Sahib Pakistan" width="1280" height="850" /> गुरु गोरखनाथ के शिष्यों से गुरु नानकदेव जी की भेंट का गवाह गुरुद्वारापाकिस्तान में भी ऐसे तमाम हिंदू-सिख धर्म स्थल हैं जिन्हें तोड़कर कब्जा कर लिया गया है। ऐसी घटनाओं की खबरें मुश्किल से ही मीडिया में आ पाती हैं। गुरुद्वारा लाल खूही जैसी कुछ खबरें ही सामने आ पाती हैं। गुरुद्वारा लाल खूही को सिखों के पांचवे गुरु अर्जन देव जी ने जहांगीर के शासनकाल में बनवाया था। पाकिस्तान सरकार ने सदियों पुराने इस गुरुद्वारे को 2007 में मस्जिद में तब्दील कर दिया। पंजाब की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी हाथ-पैर पटक कर हार गई। पाकिस्तान सरकार नहीं मानी और गुरु अर्जन देव के बनाए इस गुरुद्वारे को मस्जिद में तब्दील कर उसका नाम हक चार यार कर दिया। यह गुरुद्वारा लाहौर के मोची गेट पर था। अब वहां यह हक चार यार मस्जिद कहलाता है।
<img class="wp-image-16850 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/Gurudwara-Taru-Bhai-now-Masjid.jpg" alt="Gurudwara Taru Bhai now Masjid" width="1280" height="850" /> गुरुद्वारा भाई तारु सिंहयह मामला तो तेरह साल पुरना 2007 का था। लेकिन एक और मामला तो जुलाई 2020 का है। यह मामला गुरुद्वारा भाई शहीद तारू सिंह को मस्जिद में तब्दील किए जाने का है। इस गुरुद्वारे को मस्जिद में तब्दील किए जाने के खिलाफ भारत सरकार और हमारे पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इमरान खान को चिट्ठी लिख कर विरोध जताया था। शरिया लॉ के अधीन चल रहे पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के साथ होने वाले व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया।
ध्यान रहे, पाकिस्तान एक ओर करतारपुर साहिब में गुरुनानक देव जी के 551वें वर्ष पर कार्यक्रमों का ढकोसला कर रहा है तो वहीं एक-एक कर सिखों और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को मस्जिदों में तब्दील कर रहा है।
<img class="wp-image-16849 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/gurudwara-Lalkhoo-Pakistan-convert-into-Masjid-Hak-chaar-yaar.jpg" alt="gurudwara Lalkhoo Pakistan convert into Masjid Hak chaar yaar" width="1280" height="850" /> लाहौर के मोची गेट पर गुरु अर्जन देव जी के गुरुद्वारे को पाकिस्तान सरकार ने 'हक चार यार' मस्जिद में तब्दील कर दियासिखों के गुरुद्वारों और हिंदू मंदिरों को अब ईटीपीबी ( इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड) के तहत लाकर पाकिस्तान सरकार सभी गुरुद्वारों और मंदिरों को वैधानिक तौर पर मस्जिदों में तब्दील कर सकेगी। क्योंकि इस बोर्ड के 20 सदस्यों में से मात्र 5 हिंदू-सिख हैं। बोर्ड के चेयरमेन पाकिस्तान सरकार यानी इमरान खान खुद हैं। बोर्ड के सेक्रेटरी का जिम्मा आईएसआई के खासमखास अहमद हनीफ ओराकजई को दिया गया है। ईटीपीबी के अधीन करतारपुर साहब, ननकाना साहिब और दरबार साहब को भी कर दिया गया। गुरु नानकदेव जी के 550 साला उत्सव के तहत पाकिस्तान ने करतारपुर साहब का पुनरुद्धार कराने का दावा किया था। लेकिन यहां किए गए सभी निर्माण कार्य पहले सीजन के आंधी-पानी को भी सह नहीं सके। गुरुद्वारा साहब के गुम्बद आंधी में ऐसे नीचे आ गए जैसे कागज के बना कर लगा दिए गए हों। इस गुरुद्वारे के लिए पाकिस्तान ने कनाडा-ब्रिटेन और अमेरिका के सिख संगतों से 500 मिलियन डॉलर दान के रूप में इकट्ठे किए थे। लेकिन देख कर नहीं लगता कि इस पर 5 मिलियन डॉलर भी खर्च किए गए हों।
<img class="wp-image-16851 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/gurudwara-convert-into-masjid.jpg" alt="gurudwara convert into masjid" width="1280" height="850" /> पाकिस्तानः मस्जिद में तब्दील एक और गुरुद्वाराभ्रष्टाचार और पाकिस्तान एक सिक्के के दो पहलू हैं। इस पर चर्चा फिर कभी की जा सकती है। फिल्हाल कहानी ईटीपीबी और गुरुद्वारों को मस्जिदों में तब्दील करने की है। करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में बाजवा और इमरान खान को पप्पी-झप्पी डालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को क्या भाई तारू सिंह गुरुद्वारे को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए था? क्या लाहौर के मोची गेट पर गुरु अर्जनदेव जी के कर कमलों से बनवाए गए गुरुद्वारे लाल खूही को मस्जिद में तब्दील किए जाने के मामले को अपने दोस्त 'शेर' इमरान खान के सामने नहीं उठाना चाहिए था? क्या नवजोत सिंह सिद्धू में साहस है कि वो गुरुद्वारा भाई तारू सिंह की बहाली और शुद्धि कराने की गुजारिश इमरान खांन से कर सकते हैं? शायद नहीं। क्यों कि अभी तक सिद्धू के मुंह से इस गुरुद्वारे की तब्दीली पर एक भी शब्द नहीं सुना है। हिंदू-सिखों की आस्था पर पाकिस्तान उसी तरह से कुठाराघात कर रहा है जैसा मुगल काल में किया जाता था, लेकिन सिद्धू के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।
<img class="wp-image-16853 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/gurudwara-now-masjid.jpg" alt="pakistan gurudwara now masjid" width="1280" height="850" /> पाकिस्तानः बदहाल एक और ऐतिहासिक गुरुद्वाराहिंदू-सिख धार्मिक संपत्तियों को ईटीपीबी के हवाले किए जाने पर दिल्ली की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने विरोध किया है। दिल्ली की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इमरान खान को खत भी लिखा है। भारत सरकार से भी दिल्ली की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हस्तक्षेप की मांग की है। दिल्ली की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ईटीपीबी में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र किया है। इस खत में बताया गया है कि ईटीपीबी के मुस्लिम ओहदेदारों ने किस तरह हिंदू-सिख धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है। धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए आने वाले दान के पैसों को ईटीपीबी के सदस्यों ने व्यापक गड़बड़ घोटाला किया है। एक दो मामलों में ज्यादा विरोध होने पर इमरान खान ने जांच के आदेशों की औपचारिकता पूरी की है लेकिन आज तक किसी को सजा दी गई हो ऐसा नहीं हुआ है।
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान के पद चिन्हों पर चलकर मुस्लिम देशों के ठेकेदार बनना चाहते हैं। एर्दोगान ओटोमन साम्राज्य की वापसी करना चाहते हैं तो इमरान भी रियासत-ए-मदीना बनाने चले हैं। ओटोमन साम्राज्य और रियासत-ए-मदीना में गैर मुस्लिमों का कोई स्थान नहीं है। इसलिए तुर्की में गिरजाघरों को मस्जिदों में तब्दील किया जा रहा है तो पाकिस्तान में हिंदू-सिख धार्मिक स्थलों को मस्जिदों में बदला जा रहा है। सिद्धू जैसे लोग इमरान की शान में कसीदे कितने भी पढ़ले लेकिन पाकिस्तान में सिखों और हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की आवाज उठाने की हिम्मत नहीं है।.