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कंगाल पाकिस्तान ने किया बेजुबान तिलोरा की जान का सौदा, अरबी शेखों को इमरान ने दी शिकार की दावत

कंगाल पाकिस्तान ने किया बेजुबान तिलोरा की जान का सौदा, अरबी शेखों को इमरान ने दी शिकार की दावत

पहले टिड्डियों का अचार बनाकर अपनी अर्थव्यस्था को सुधारने का दावा करने वाला पाकिस्तान अब बेजुबान पंछियों के शिकार से पैसे कमाने पर उतारू हो गया है। लुप्तप्रायः पंछियों की श्रेणी में पहुंच चुके हुबारा बस्टर्ड के शिकार ने इस बार फिर दुबई और रियाद के शाही खानदानों को बड़े पैमाने पर लाईसेंस जारी किए हैं। इनमें कुछ ऐसे शहजादे भी हैं जिनके ऊपर लाखों डॉलर बकाया हैं लेकिन उन्हें भी लाइसेंस दिए गए हैं। इस बार खास बात यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने निजी तौर पर लाइसेंस दिए हैं। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से ही लाइसेंस दिए जाते थे। इस बार इमरान खान ने बाकायदा यूएई और सऊदी अरब के शासकों को हुबारा बस्टर्ड का शिकार करने के लिए आमंत्रित किया है।
<h4>मर्दाना ताकत के लिए हुबारा का शिकार</h4>
ऐसा कहा जाता है कि हुबारा बस्टर्ड का मांस 'मर्दाना ताकत' बढ़ाता है। अरब के लोग इसे बहुत शौक से खाते हैं। हुबारा के मांस के लिए अरब मुंह मांगी कीमत देते हैं। पाकिस्तान 10 हुबारा के शिकार का परमिट देते है लेकिन अरब के शहजादे सैकड़ों में शिकार करते हैं और पाकिस्तानी अथॉरिटी को नंबर दो मोटी रकम देते हैं। इसीलिए बेजुबान खूबसूरत पंछी के बेंइताह शिकार के बावजूद पाकिस्तान सरकार चुप रहती है। इस्लामाबाद में यूएई के दूतावास इमरान खान ने जिन लोगों को शिकार की दावत भेजी है उनमें दुबई के शासक राशिद अल-मख्तूम, वली अहद (युवराज), उपशासक, वित्त और उद्योग मंत्री, पुलिस के उपप्रमुख, सेना के एक अधिकारी, शाही परिवार के दो सदस्य और एक उद्योगपति भी शामिल हैं।
<h4>सऊदी क्राउन प्रिंस को इमरान ने भेजी खास दावत</h4>
ऐसी जानकारी भी मिली है कि इमरान खान ने पिछले महीने यानी दिसंबर के पहले हफ्ते में ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान को भी निजी तौर पर होबुरा के शिकार की दावत दी है। यूएई के शाही खानदान के लोग पाकिस्तान पहुंच गए हैं। अब इमरान को इंतजार सऊदी के क्राउन प्रिंस का है। क्राउन प्रिंस का सबसे ज्यादा इंतजार पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा और खुद प्रधानमंत्री इमरान खान को है।
<h4>सऊदी राजदूत से एक महीने में तीन बार मिले आर्मी चीफ</h4>
पिछले एक महीने में जनरल बाजवा इस्लामाबाद में सऊदी अरब के राजदूत से तीन बार मिल चुके हैं। पाकिस्तानी शासकों को उम्मीद है कि पाकिस्तान से खफा प्रिंस सलमान के दौरे के दौरान उन से मिलकर अपनी सफाई देने का मौका मिलेगा और नाराज सलमान को मना लेंगे। लेकिन अभी तक सलमान की तरफ से उनके आने की कोई खबर नहीं है। पिछले एक साल से पाकिस्तान और सउदी अरब के रिश्ते खराब होते चले गए हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर साथ नहीं देने के लिए दो बार सऊदी अरब की आलोचना की थी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी इसे लेकर सऊदी अरब पर तंज कसा था। इससे नाराज होकर सऊदी अरब ने पाकिस्तान से 3 अरब डॉलर लौटाने को कहा था। दिवालिया होने की कगार पर पाकिस्तान को बचाने के लिए आर्मी चीफ बाजवा ने रियाद जाकर प्रिंस सलमान से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। तब से इमरान और बाजवा सउदी अरब से रिश्ते सुधारने की पूरी कोशिश में लगे हैं। सऊदी क्राउन प्रिंस को इस दुर्लभ पक्षी होबुरा का शिकार काफी पसंद है। यह पक्षी, दुर्लभ प्रजातियों में से एक है और पूरी दुनिया में इसके शिकार पर रोक लगी है। पाकिस्तान में यह पक्षी सिर्फ दिसंबर और जनवरी में देखा जाता है। पाकिस्तानी पत्रकार भगवान दास कई सालों से हुबारा बस्टर्ड के गैरकानूनी शिकार के खिलाफ लिखते रहे हैं।
<h4>वीजा और नौकरी के लिए होबुरा की जान का सौदा</h4>
दरअसल, पाकिस्तान से नाराज संयुक्त अमीरात (यूएई ) ने पाकिस्तानी नागरिकों को वर्क और एंप्लायमेंट वीजा देने पर रोक लगा दी है। यूएई में पाकिस्तानी कामगारों की तादाद लाखों में है। हर साल पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए यूएई का रुख करते हैं। पाकिस्तान को यूएई से लगभग हर साल 4 अरब डॉलर रेमिटेंस (प्रवासियों की ओर से घर भेजा गया पैसा) मिलता है जो एक बहुत बड़ी रकम है। खाड़ी के देशों के साथ भारत के संबध काफी गहरे हुए हैं। इनमें से कुछ देशों ने इजराइल को मान्यता दी है और कुछ इस बारे में सोच रहे हैं। इस बात से बौखला कर, बड़बोले इमरान खान ने तैश में इन देशों की आलोचना की थी लेकिन यह भूल गए कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर, 1947 से ही इन देशों से मिलने वाले खैरात का कितना प्रभाव है।
<h4>दिसंबर-जनवरी में होता है होबुरा का शिकार</h4>
अरब देशों के शाही खानदान की शिकारगाह बलोचिस्तान के छगाई इलाके में है जहां यह दुर्लभ पक्षी हुबारा, जिसे बलोच लोग तिलोरा कहते हैं, हर साल दिसंबर और जनवरी में आते हैं। मध्‍य एशियाई देशों में पाए जाने वाले हुबारा पक्षी भीषण ठंड से बचने के लिए पाकिस्‍तान में शरण लेते हैं और पाकिस्तानी सरकार इन्‍हीं बेजुबानों की जान का सौदा कर लाखों डालर कमाती है। हुबारा पक्षी का मांस का इस्तेमाल शक्तिवर्दधक “वियाग्रा” की तरह जाता है और शाही शिकारियों का यह मनपसंदीदा है। पाकिस्तानी परमिट के मुताबिक यह अनुमति सिर्फ 10 दिनों के लिए होती है और इन 10 दिनों में सिर्फ 100 हुबारा बस्टर्ड का शिकार किया जा सकता है जिसकी फीस एक लाख डालर होती है लेकिन हकीकत में, इनका शिकार हजारों में होता है।
<h4>पाक आर्मी की सुरक्षा में रहते हैं शाही शिकारी</h4>
पिछले साल सउदी प्रिंस फहद ने 2,100 पक्षियों का शिकार किया, जबकि उन्हें मात्र 100 पक्षियों के शिकार की अनुमति दी गई थी। पाकिस्‍तान के बलूचिस्तान प्रांत को शिकार के हर सीज़न में कम से कम 2 अरब रुपये की कमाई होती है। इन देशों ने अपने लिए वहां एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट और आलीशान बंगले बना रखे हैं। हर सीजन में शाही खानदानों की एसयूभी(SUV) गाड़ियां हवाई, शिकारी कुत्ते, सुरक्षाकर्मी के साथ पूरा शाही लश्कर जहाज लाए जाते हैं। यह शिकारी अपने साथ पालतू बाज लाते हैं जिनकी मदद से हुबारा बस्टर्ड का शिकार किया जाता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक गांव का गांव इनकी खातिरदारी में लग जाता है जिसके बदले में इन्हें मोटी रकम बख्शीश के तौर पर मिलती है। इन इलाकों में मस्जिद और मदरसे शाही खैरातों से ही चलते हैं। शाही शिकारियों के लिए यह पूरा इलाका पाकिस्तानी आर्मी की सुरक्षा में रहता है।
<h4>लुप्तप्रायः प्रजाति का पंछी है होबुरा</h4>
हुबारा बस्टर्ड पक्षी की प्रजाति लगभग खत्म होने की कगार पर है। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इसके शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने प्रतिबंध को चुनौती दी। सरकार की दलील थी कि खाड़ी देश के निवेशक इसके ज़रिए पाकिस्तान में करोड़ों डॉलर का निवेश करते हैं और इस प्रतिबंध से इन देशों से पाकिस्तान के रिश्तों पर गलत असर पड़ेगा और कोर्ट ने पाबंदी हटा दी। हुबारा बस्टर्ड और उसकी देखरेख का जिम्मा पाकिस्तान के वन विभाग के पास नहीं बल्कि हुबारा फांउडेशन के जिम्मे है जिसमें पाकिस्तानी आर्मी के रिटायर्ड ऑफीसर हैं। अरब वर्ल्ड के अमीर और शाही परिवार हर साल इसमें लाखों डालर चंदा देते हैं। इस रकम को इन पक्षियों की प्रजाति को बचाकर इनकी संख्या में बढ़त्तरी करनी है ताकि हर साल इनका शिकार किया जा सके।
<h4>विपक्ष में रहते इमरान करते थे होबुरा के शिकार का विरोध</h4>
इंटरनेशनल यूनियन ऑफ द कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (आईयूसीएन) के एक अनुमान के मुताबिक़ दुनिया भर में हुबारा बस्टर्ड की संख्या करीब 50 हज़ार है और अगर इसी तेजी में पक्षियों का शिकार होता रहा तो आने वाले दो-तीन सालों में तिलोर का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। बस्टर्ड प्रजाति का एक और पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत के थार रेगिस्तान में पाया जाता है और इसे भी संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या करीब 200 ही बची है। इस प्रजाति को बचाने के लिए भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है। पिछले साल भारत के गांधीनगर में संयुक्त राष्ट्रसंघ प्रवासी पक्षी प्रजाति संरक्षण के तहत COP13 की बैठक हुई थी लेकिन पाकिस्तान और चीन ने इसमें भाग नहीं लिया था। इस बैठक में यह तय किया गया है प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हर सदस्य देश की है। यह वही इमरान खान हैं जो विपक्ष में रहते हुए अरब के शाही परिवारों को शिकार के लिए दिए जाने वाले परमिट के खिलाफ थे लेकिन प्रधानमंत्री बनते ही एक फिर उन्होंने यू-टर्न जिसके लिए वो जाने जाते हैं।.