Hindi News

indianarrative

इमरान खान ने रोया ‘आर्थिक’ रोना, कहा- ‘कंगाल होता जा रहा पाकिस्तान, देश चलाने के लिए पैसे नहीं’

courtesy google

पाकिस्तान कंगाली की चौखट पर खड़ा है। इस बात को मानने से टालमटोल कर रहा पाकिस्तान ने आखिरकार कबूल कर लिया है कि देश के पास पैसे नहीं है। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कबूल किया है कि उनके कार्यकाल में मुल्क बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। उनके पास देश चलाने तक के लिए पैसा नहीं है, इसलिए उसे विदेशों के सामने झोली फैलानी पड़ती है। एक कार्यक्रम के दौरान पीएम इमरान खान ने कहा कि बढ़ता विदेशी कर्ज और कम टैक्स रिवेन्यु राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है, क्योंकि सरकार के पास लोगों के कल्याण पर खर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

यह भी पढ़ें- आपके घर में मौजूद इन 5 चीजों को देख मां लक्ष्मी हो जाती है रुष्ट, आज की निकाल दें बाहर नहीं तो हो जाओगे कंगाल

जानकारी के मुताबिक, फेडरल बोर्ड ऑफ रिवेन्यु के पहले ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा- 'हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे पास अपने देश को चलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, जिसके कारण हमें कर्ज लेना पड़ता है।' इस दौरान इमरान खान ने इशारों-इशारों में बताया कि देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए पिछली सरकार और उसके मंत्री भी जिम्मेदार हैं। इमरान ने ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए कहा- 'पाकिस्तान से 50 गुना अधिक आय वाले ब्रिटेन के मंत्री जब विदेश यात्रा पार जाते हैं तो पांच घंटे से कम की फ्लाइट के लिए वे इकॉनमी क्लास का उपयोग करते हैं।'

यह भी पढ़ें- जानें दिसंबर में कौन से बड़े ग्रह करेंगे राशि परिवर्तन, किन राशियों को मिलेगा फायदा, होगा धनलाभ

इमरान खान ने आगे कहा-  'उन्हें ये पता होता है कि वो जनता का पैसा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके उलट, अतीत में  पाकिस्तानी नेताओं ने इस पर जमकर पैसा खर्च किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जब अमेरिकी यात्रा पर जाते हैं तो देश का पैसा बचाने के लिए  यूएस स्थित यूके के दूतावास में रुकते हैं, लेकिन पाकिस्तान में, दुर्भाग्य से ये संस्कृति कभी विकसित नहीं हुई। हमारे शासकों ने कभी लोगों को करों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के उपाय नहीं किए। अपने इस भाषण से प्रधानमंत्री ने एक तरह से ये कहने का प्रयास किया कि मुल्क तभी आर्थिक संकट से बाहर निकल सकता है जब आवाम पूरी ईमानदारी से टैक्स भरे।'