Hindi News

indianarrative

गलवान चोट के बाद भारत ने Arunachal में भी दिया ड्रैगन को गहरा जख्म, कब्जा करने आये चीनी सैनिकों को खदेड़ा

India-China Clash In Arunachal Tawang

India-China Clash In Tawang: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय अपने देश में कई सारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक ओर जीरो कोविड नीति के खिलाफ जनता का गुस्सा का सामना तो दूसरी ओर धाराशायी होती अर्थव्यवस्था। लेकिन, इन चुनौतियों का समाधान करने की जगह वह भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर उलझने की साजिश रच रहे हैं। जून 2020 के बाद चीन ने फिर भारत की सीमा में आने की हिमाकत की है। इस बार उसने पूर्वी सेक्टर स्थित अरुणाचल प्रदेश के तवांग (India-China Clash In Tawang) में दाखिल होने की कोशिशें की है। साल 2020 में जब पूरी दुनिया वुहान के निकले कोविड-19 वायरस का सामना कर रही थी तो पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सैनिक गलवान घाटी में हिंसा कर रहे थे। शी जिनपिंग पहले ही अपने सैनिकों को भारत के साथ जंग के लिए तैयार रहने को कह चुके हैं। इस बार इसी सोच के साथ तवांग (India-China Clash In Tawang) में साजिश रची गई है। तवांग में चीन को भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। एक भी सैनिक भारत की धरती पर कदम नहीं रख पाया है। तवांग, चीन की वह दुखती रह है जो उसे हमेशा तकलीफ देती है।

यह भी पढ़ें- गलवान की मार नहीं भूले जिनपिंग, चीनी कांग्रेस में पिटने वाले अफसर को बुला कर आर्मी के जख्म सहलाए

इस लिए करना चाहता है कब्जा
नौ दिसंबर को तवांग (India-China Clash In Tawang) में करीब 300 चीनी सैनिक दाखिल हो गए थे। लेकिन भारतीय सैनिकों ने बहादुरी के साथ इन्‍हें खदेड़ दिया। साफ है कि जिनपिंग के शैतानी दिमाग में कहीं कोई साजिश चल रही है। यह घटना तवां के पास यांगत्से में हुई है। यांगत्से, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर तवांग का वह हिस्सा है जिस पर सन 1962 की जंग के बाद से ही चीन की बुरी नजर है। वह युद्ध के समय से ही तवांग के यांगत्से पर कब्जे के सपने देख रहा है। सेना के सूत्रों की माने तो, यांगत्से को पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) की हमेशा से निशाना बनाने की फिराक में रहती थी। ये वो जगह है जहां से चीन पूरे तिब्बत पर नजर रख सकता है। साथ ही इस हिस्से के जाने के मतलब नॉर्थ ईस्ट पर पकड़ कमजोर होना। यही वजह है कि, चीन हमेशा से इसपर अपनी बुरी नजर गड़ाये बैठा है।

चीन में मचे बवाल से जनता का ध्यान हटाने के लिए भारत संग उलझ रहे जिनपिंग
साल 2020 में चीन को गलवान घाटी हिंसा में बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी। चीन ने सोचा नहीं था कि, उसे भारत इतनी बुरी चोट देगा। इस जख्म को लिये चीन अब भी घुम रहा है। इस हिंसा के बाद ही जिनपिंग ने PLA को भारत के साथ युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहा था। उन्होंने जवानों से सारा दिमाग और ऊर्जा युद्ध की तैयारी में निवेश करने के लिए कहा था। हाल ही में हुई राष्‍ट्रीय कांग्रेस के दौरान भी जिनपिंग ने युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की अर्थव्‍यवस्‍था इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। जीरो कोविड नीति के सख्‍त नियमों के तहत जनता पहले ही जिनपिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुकी है। जिनपिंग जो अपनी सत्‍ता की हनक बरकरार रखना चाहते हैं, वह देश की मुश्किलों से ध्‍यान हटाने की कोशिशों में लगे हैं। ऐसे में एलएसी पर भारत कको उलझाने के अलावा कोई और बेहतर विकल्‍प उन्‍हें नहीं मिल सकता है।

डरे हुए हैं शी जिनपिंग
शी जिनपिंग इस वक्त डरे हुए हैं। जिस तरह से चीन की जनता जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ भारी विरोध कर रही है उनको उम्मीद नहीं थी। डीरो कोविड नीति के खिलाफ चीन के कई हिस्सों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इन प्रदर्शनों में छात्रों की संख्या हैरान करने वाली थी। छात्र, जिनपिंग से राष्ट्रपति के पद की छोड़ने की मांग कर रहे थे जो आजीवन शासन का सपना पाल रखे हैं। चीन मामलों के जितने भी विशेषत्र थे, वो यकीन नहीं कर पा रहे थे कि प्रदर्शन इस हद तक ऐतिहासिक हो रहे हैं कि ये तियानमेन स्क्वॉयर की याद दिला रहे हैं। इसी के बीच शी जिनपिंग ने जीरो कोविड नीति के तहत लागू सख्त नियमों में ढील देने का फैसला किया। विशेषज्ञों की मानें तो कोविड नीति में ढील के फैसले को राहत के तौर पर तो देखना ही चाहिए। साथ ही साथ इन्‍हें जिनपिंग की एक कमजोरी के तौर पर भी देखा जाना चाहिए।

भारत से उलझ कर हीरो बनना चाहते हैं जिनपिंग
प्रदर्शनों के चलते शी जिनपिंग पर दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में सीनियर रैंक्‍स पर मौजूद दूसरे नेता भी उनके खिलाफ विद्रोह कर सकते थे। विशेषज्ञों की मानें तो कोविड नीति में ढील को जिनपिंग की कमजोर नस के तौर पर देखा जाएगा। न सिर्फ उनकी पार्टी के नेता बल्कि अब देश और विदेश में मौजूद चीनी नागरिक भी उन्‍हें कमजोर नेता के तौर पर देखेंगे। उनका कहना है कि जिनपिंग को जीरो कोविड नीति का मास्‍टरमाइंड माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक जिनपिंग जानते हैं कि राष्‍ट्रवाद की भावना को फिर से देशवासियों में जगा कर वह खुद को मजबूत कर सकते हैं। भारत के साथ जंग या जंग की कोशिश या फिर ऐसी कोई भी कोशिश उन्‍हें जनता का हीरो बना देगी।

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान की तरह झूठा ड्रैगन, गलवान में मारे गए सैनिकों के नाम चीन ने छुपाए अब आए सामने

किस-किस से उलझेगा चीन
चीन इस वक्त न सिर्फ भारत से बल्कि अपने साथ सीमा साझा करने वाले सारे देशों से उलझा हुआ है। चाहे इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस हो हर किसी से उलझा हुआ है। ताइवान को तो वो पूरी तरह से हड़पना चाहता है। तवांग में चीन की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है। तवांग में चीनी सेना के हमला अचानक नहीं है बल्कि एक सोची समझी साजिश है। इसकी पुष्टि ताइवान की सरकार की ओर से आया एक बयान करता है। दरअसल, ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू मानते हैं कि चीन, भविष्‍य में होने वाले हमले की तैयारी कर रहा है। उनकी मानें तो चीनी राष्‍ट्रपति जिनपिंग ने अपना तीसरा कार्यकाल सुरक्षित कर लिया है। ऐसे में चीनी सेनाओं की तरफ से बढ़ने वाला खतरा और ज्‍यादा गहरा गया है। उन्‍होंने बताया कि कैसे साल 2020 के बाद से चीनी घुसपैठ की संख्‍या में पांच गुना तक इजाफा हुआ है। उनकी मानें तो चीन एक और मिलिट्री ड्रिल की तैयारी कर रहा है।