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भारत को मिला टैंकों का ‘काल’! Israel ने दिया घातक स्पाइक NLOS मिसाइल, जानिए कितनी खतरनाक

Israel delivered Spike NLOS missile: पहाड़ों के पीछे छिपे दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने के लिए भारतीय वायुसेना खुद को मजबूत कर रही है। इसी क्रम में अपनी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय वायु सेना (IAF) को इजराइली (Israel) स्पाइक नान लाइन आफ साइट (NLOS) एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें मिली हैं। ये 30 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य पर हमला कर सकती है। इजरायल से स्पाइक एनएलओएस मिसाइलों की यह खेप भारतीय वायु सेना के लिए खास तौर पर खरीदी गई है। इसे वायु सेना के एमआई-17 और अपाचे हेलीकॉप्टरों पर लगाया जाएगा। बताया जा रहा है कि भारतीय वायु सेना को स्पाइक एनएलओएस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें मिल चुकी हैं और जल्द ही इनका परीक्षण होने वाला है। यह वही एंटी टैंक मिसाइल है, जिसे खरीदने के प्रस्ताव को शुरू में भारत ने रद्द कर दिया था। तब बताया गया था कि भारत का स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल जल्द ही सर्विस में शामिल होने वाली है।

दो साल पहले ही भारतीय वायु सेना ने दिखाई थी दिलचस्पी

सरकारी सूत्रों के अनुसार, रूसी हेलिकाप्टर बेड़े एमआई-17वी5 में इजराइली एनएलओएस लगाने से यह संघर्ष की स्थिति में काफी दूर से अपने लक्ष्य को निशाना बना पाएगी और आपात स्थिति में यह काफी असरदार साबित होगी। दरअसल, भारतीय वायु सेना ने इन मिसाइलों में दिलचस्पी लेना दो साल पहले शुरू किया, जब पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन ने भारी संख्या में सैनिकों और टैंकों की तैनाती की थी।

भारत ने क्यों खरीदा स्पाइक एलएलओएस

इजरायली कंपनी राफेल अडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स का दावा है कि उसकी स्पाइक मिसाइल के अलग-अलग वेरिएंट दुनिया के 39 देशों के पास हैं। इनमें से अधिकतर देशों ने स्पाइक को खरीदा है, जबकि ईरान जैसे कई देशों ने रिवर्स इंंजीनियरिंग कर इसके अपने वेरिएंट बनाए हैं। भारतीय वायु सेना ने जिस वेरिएंट को खरीदा है, उसका नाम स्पाइक एनएलओएस है। यह स्पाइक फैमिली का सबसे अडवांस वेरिएंट है। इसमें एनएलओएस का अर्थ ‘नॉन लाइन ऑफ साइट’ होता है, जो इसकी लंबी दूरी तक मार करने वाली क्षमता को दर्शाता है। यह वर्तमान में पूरी दुनिया में मौजूद किसी भी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल में सबसे अधिक रेंज वाला हथियार है। इसे हवा से जमीन पर मौजूद खतरों के खिलाफ लॉन्च किया जा सकता है। इसकी रेंज अमेरिका की एजीएम-114 हेलफायर से लगभग चार गुना ज्यादा है।

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