पाकिस्तान भले ही जितनी मर्जी चालबाजी क्यों नहीं कर ले लेकिन हमेशा उसका असली चेहरा सबके सामने आ ही जाता है। अब हाल ही में इजरायल (Israel)ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान सरकार की मानवाधिकारों उल्लंघन को लेकर पोल खोलकर रख दी। जी हां, इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की समीक्षा बैठक में पाकिस्तान से मांग की कि समलैंगिकता पर लगाया गया बैन हटाया जाए। दरअसल, पाकिस्तान ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में आकर समलैंगिकता के खिलाफ सख्त कानून बनाया है। यही नहीं इजरायल ने पाकिस्तान में बलूचों के गायब होने, हिंसा, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। फिर क्या था अब इस बात पर पाकिस्तान की सरकार आगबबूला हो गई है।
दोनों के बीच शुरू हुई जुबानी जंग
आलम यह है कि दोनों देशों के बीच अब जुबानी जंग शुरू हो गई है। दरअसल, पाकिस्तान पर मानवाधिकारों की रिपोर्ट जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 53वें सत्र में पेश किया गया। इस दौरान इजरायल ने पाकिस्तान पर चुन-चुनकर वार किया और उसकी पोल खोलकर रख दी। इजरायल ने पाकिस्तान को लेकर दिए अपने सुझाव में कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानक के तहत समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे। साथ ही कहा पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति बहुत चिंताजनक हो गई है। आगे इजरायल ने कहा कि पाकिस्तान में लोगों का जबरन अपहरण किया जा रहा है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया जा रहा है। इसे पाकिस्तान को बंद करना होगा। इजरायल का इशारा हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ हो रही हिंसा की ओर था। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में कई मंदिरों को तोड़ने की कोशिश की गई है। हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन तक कराया गया है। ऐसे में इजरायल के पाकिस्तान की पोल खोलने पर शहबाज सरकार बुरी तरह तिलमिला उठी है।
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पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने इसे राजनीति से प्रेरित बयान करार दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इजरायल की सलाह के बिना भी मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि इजरायल का फलस्तीनी जनता के दमन का लंबा इतिहास रहा है।