भारत सरकार के एक कदम से जहां अफगानिस्तान बांछें खिली हुई हैं तो वहीं चीन और पाकिस्तान चीखें निकल रही हैं। अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप में हजारों लोगों के मारे जाने पर भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना व्यक्त कीं और अफगानिस्तान को सहायता का आश्वासन दिया। पीएम मोदी की इस पहल पर संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में काबुल एक टेक्निकल टीम भेजी गई। जो आपदाग्रस्त इलाकों में मदद भेजने और अफगान तालिबान के साथ समन्वय का काम करेगी।
भारत के इस कदम कातालिबान ने स्वागत किया है। अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खि ने ट्वीट किया, 'इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान (IEA) अफगान लोगों के साथ अपने संबंधों और उनकी मानवीय सहायता को जारी रखने के लिए काबुल में अपने दूतावास में राजनयिकों और तकनीकी टीम को वापस भेजने के भारत के निर्णय का स्वागत करता है। अफगानिस्तान में भारतीय राजनयिकों की वापसी और दूतावास को फिर से खोलना दर्शाता है कि देश में सुरक्षा स्थापित है, और सभी राजनीतिक और राजनयिक अधिकारों का सम्मान किया जाता है।'
IEA welcomes decision by India to return diplomats & technical team to their embassy in Kabul to continue their relations with the Afghan people & their humanitarian assistance. pic.twitter.com/ZRjia4RFI8
— Abdul Qahar Balkhi (@QaharBalkhi) June 23, 2022
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कहा है कि, ‘ मानवीय सहायता की प्रभावी ढंग से आपूर्ति करने एवं अफगानिस्तान के लोगों के साथ जारी सम्पर्को की करीबी निगरानी एवं समन्वय के प्रयासों के मद्देनजर एक भारतीय तकनीकी दल आज काबुल पहुंचा और उसे हमारे दूतावास में तैनात किया गया।’ गौरतलब है कि भारत के इस कदम को युद्ध प्रभावित रहे अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद वहां अपनी अपनी पूर्ण मौजूदगी की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत अब तक 20हजार मीट्रिक टन गेहूं, 13टन दवा, कोविड रोधी टीके की पांच लाख खुराक, गर्म कपड़े आदि वहां भेज चुका है। यह सामग्री काबुल में इंदिरा गांधी बाल अस्पताल, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूईपी जैसी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को सौंपी गई हैं। वहीं, अफगानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंप में काफी संख्या में लोगों की मौत पर शोक प्रकट करते हुए बुधवार को भारत ने वहां के लोगों को सहायता एवं समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी । अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में आए भूकंप में 3200से अधिक लोगों के मारे जाने की खबरें आई हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा पर गहरा दुख जताया था।
यह आपदा देश पर ऐसे समय में आई है, जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के देश को अपने नियंत्रण में लेने के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बना ली है। इस स्थिति के कारण 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी मुश्किल भरा होने का अंदेशा है। अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई ने इस कठिन समय में एकजुटता एवं समर्थन प्रकट करने के लिये भारत की सराहना की।
अफगानिस्तान में भारत के साहसिक दोस्ताना कदम और उस पर अफगान तालिबान का गर्मजोशी से स्वागत किए जाने से पाकिस्तान और चीन की चीखें निकल रही हैं। पाकिस्तान को एक बार फिर डुअल बॉर्डर वॉर का खतरा सताने लगा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगान तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद काबुल को अपनी कॉलोनी मानने लगी थी। भारत की काबुल में सक्रिएता से आईएसआई के अभियानों को झटका लगा है। अब पाकिस्तान को यह भी अहसास हो रहा है कि भारत तालिबान को पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इसी तरह चीन ने अफगानिस्तान की प्राकृतिक संपदा हड़पने के लिए तालिबान पर डोरे डाले थे। चीन का एक स्वार्थ यह भी था कि तालिबान शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के आंदोलन को मदद न करे। शुरुआती दौर में तालिबान ने चीन का दौरा भी किया और आश्वासन भी दिया था। अब बताया जा रहा है कि तालिबान चीन और पाकिस्तान दोनों की मंशा भांप चुका है। इसलिए तालिबान गर्मजोशी से भारत का स्वागत कर रहा है।