जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली में मंच तैयार है। अमेरिका से जो बाइडेन भारत के लिए निकल चुके हैं। सऊदी अरब (Saudi Arab) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी भारत आ रहे हैं। इस बीच बड़ी खबर ये है कि पीएम मोदी समेत इन दोनों नेताओं और जी20 के कुछ और देशों के बीच एक रेल डील हो सकती है। इस डील की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि चीन मिडिल ईस्ट में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है। चीनी बेल्ट एंड रोड इनीशियएटिव को काउंटर करने के नजरिए से इस डील को सम्मेलन के दौरान या इसके इतर मीटिंग में अंतिम रूप दिया जा सकता है। अमेरिका में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर यह डील फाइनल होती है तो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के लिए मिडिल ईस्ट में अपनी नीति लागू करना आसान हो जाएगा। मसलन, इजराइल-सऊदी अरब (Saudi Arab) के बीच संबंधों को ठीक करना आसान हो सकता है। चीन को भी एक नए प्रोजेक्ट के साथ जवाब दिया जा सकता है। एक तीर से दो निशाने साधे जा सकते हैं।
मिडिल ईस्ट से भारत तक बिछेगी रेलवे लाइन
चीन मिडिल ईस्ट देशों में तेजी से अपने पांव पसार रहा है. बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव के जरिए चीन ने दुनियाभर के देशों तक सड़क मार्ग से पहुंच बना ली। इस इनीशियेटिव के तहत रेल मार्ग भी शामिल है। इसी के जवाब में चीन विरोधी देशों का प्लान है कि एक रेल डील साइन किया जाए। इ़स प्रोजेक्ट के तहत अरब देशों को एशियाई क्षेत्र लेवांत से जोड़ा जाएगा जो इजराइल होते हुए अरब सागर के रास्ते भारत तक पहुंचेगा।
खाड़ी देशों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा चीन
जी20 के इतर एक ग्रुप है I2U2 यानी इंडिया, इजराइल, युनाइटेड अरब अमीरात और युनाइटेड स्टेट्स। पिछले 18 महीने में इस ग्रुप की मीटिंग में खाड़ी और अन्य देशों को जोड़ने के लिए रेल प्रोजेक्ट की बात सामने आई। खाड़ी के कई देश चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव का हिस्सा हैं। ऐसे में चीन वहां अपना प्रसार कर रहा है, जो भारत-अमेरिका के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। बाइडेन की कोशिश इस डील को फाइनल करने की है जो उनके लिए मिडिल ईस्ट का रास्ता आसान करता है और अमेरिकी सत्ता के रास्ते भी खोलता है।
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