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Taliban को अपना दुश्मन क्यों मानता है ISIS-K? जानें इस आतंकी संगठन के बारे में सबकुछ

Taliban को अपना दुश्मन क्यों मानता है ISIS-K?

काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले से सारी दुनिया सन्न है। इस हमले ने अमेरिका को बड़ा जख्म दे दिया है। अफगानिस्तान से जाते-जाते अमेरिका के माथे पर धब्बा लग गया है। इस आत्मघाती हमले में 100 लोगों की जान चली गई। बम धामकों में 13 अमेरिकी सैनिक भी मारे गए हैं।  आतंकी समूह ISIS-K ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। दरअसल ISIS-K और तालिबान कट्टर दुश्मन हैं। इस हमले के बाद एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि कट्टर तालिबान का अलकायदा और ISIS-K जैसे आतंकी संगठनों से रार और बढ़ सकता है।

अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने के बाद से ISIS-K अपने स्थानीय दुश्मन तालिबान पर लगातार हमला कर सकता है। वॉशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए अमेरिकी मिलिट्री अकादमी में सहायक प्रोफ़ेसर अमीरा जादून बताती हैं कि ISIS-K का मुख्य लक्ष्य अभी अफगानिस्तान में राजनीतिक तौर पर प्रासंगिक रहने का है। इनका काम देश को स्थिर करने की कोशिशों को नाकाम करना और तालिबान की विश्वसनीयता को कम करना है। सीरिया जैसे देशों को तबाह करने वाला ISIS अब काबुल में है वो भी ISIS-K के नाम से यानी इस्लामिक स्टेट खोरासान।

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले ही अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी अफगानिस्तान में ISIS-K के बढ़ते प्रसार को लेकर चिंतित थे। 17 अगस्त की डिफेंस डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट बताती है कि ISIS-K ने अप्रैल से जून के दौरान राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा में बढ़ोतरी का फायदा उठाया है। इस्लामिक स्टेट खुरासान का गठन 2014 के अंत में हुआ था और यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ISIS से जुड़कर काम करता है। खुरासान उस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक शब्द है जिसमें वर्तमान अफगानिस्तान और मध्य पूर्व और मध्य एशिया के कुछ हिस्से शामिल हैं। समूह को ISIS-K या IS-K के नाम से भी जाना जाता है।

काबुल हमले को लेकर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस हमले ने तालिबान को कमजोर साबित किया है। इस तरह के और हमले तालिबान को कमजोर करते जाएंगे। ISIS-K को यह अच्छे से पता है कि तालिबान दो मोर्चे पर युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है। ISIS-K तालिबान और अमेरिका के बीच किसी भी बातचीत को खत्म करने की कोशिश में है ताकि अपना असर बढ़ा सके। बता दें कि 2021 के जनवरी और फरवरी महीने में 47 हमलों की जिम्मेदारी ली थी। 2017 में इस ग्रुप में 100 और 2018 में 84 हमले की जिम्मेदारी ली थी।