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इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ते पाकिस्तान के अल्पसंख्यक

इस्लामिक कट्टरपंथ की भेंट चढ़ते पाकिस्तान के अल्पसंख्यक

ऐसा पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान में कोई मंदिर तोड़ा गया हो. ताजा घटना पाकिस्तान के कराची स्थित ल्यारी की, जहां आजादी से पहले बना हनुमान मंदिर तोड़ दिया गया और ही इसके आसपास रहने वाले 20 हिंदू परिवारों के घर भी तोड़ दिए गए.

अब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. कई लोगों ने इस घटना की निंदा की है.
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<p dir="ltr" lang="en">Hanuman temple in Lyari razed down. Hindu community says the builder took advantage of the Covid-19 lockdown to demolish the worship place. <a href="https://t.co/PHMN8Am8g4">pic.twitter.com/PHMN8Am8g4</a></p>
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) <a href="https://twitter.com/nailainayat/status/1296816434648100864?ref_src=twsrc%5Etfw">August 21, 2020</a></blockquote>
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इससे पहले जुलाई में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सरकार द्वारा हिंदुओं को कृष्ण मंदिर बनाने के लिए जो जगह दी गई थी उस पर मंदिर बनाए जाने का विरोध किया था, और कई सारे मुकदमे इसके निर्माण को रोकने के लिए कोर्ट में दायर किए गए हैं.

इस्लाम के नाम पर लोगों को गुमराह करने वाले जाकिर नायक ने कहा कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने का सरकारी प्रस्ताव हराम है. किसी भी इस्लामिक देश में गैर मुस्लिमों के लिए धार्मिक स्थल बनाने में सरकारी दान नहीं दिया जा सकता. इस्लाम को मानने वाले कोई भी मुस्लिम किसी दूसरे मजहब के धार्मिक स्थलों के निर्माण में चंदा नहीं दे सकते.

नायक ने इस्लामी नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई इस्लामी देश चर्च मंदिर निर्माण के लिए धन उपलब्ध करवाता है, तो इसे हराम माना जाएगा. उसने कहा कि इस्लामी मुल्क में तो किसी गैर मुस्लिम व्यक्ति के धन से मंदिर या चर्च नहीं बनाई जा सकती तो मुस्लिमों के टैक्स के पैसों से मंदिर निर्माण का सवाल ही नहीं उठता.
ज्ञात रहे कि इस्लामाबाद में इमरान सरकार ने हिंदू समुदाय को लुभाने के लिए एक मंदिर निर्माण का प्रस्ताव दिया था. बाद में मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए पाकिस्तानी सरकार ने मंदिर के संबंध में इस्लामिक काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है.

पाकिस्तान में मजहबी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशरफिया ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता. इसी संस्था ने मंदिर निर्माण को लेकर फतवा जारी करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी धन से मंदिर निर्माण नहीं हो सकता.

पाकिस्तान के लाहौर में स्थित एक गुरुद्वारा, जिसको भाई तारु सिंह शहीदी स्थान के नाम से जाना जाता है उसको भी जुलाई में मस्जिद में बदलने के प्रयास का भारत ने कड़ा विरोध किया था. भारतीय उच्चायोग ने इस गुरुद्वारे को मस्जिद में बदलने के निर्णय के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि गुरुद्वारा श्रद्धा का स्थान है और सिख समुदाय के लिए पवित्र भी, पाकिस्तान सरकार को इस मामले में दखल देनी चाहिए.
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<p dir="ltr" lang="en">Pak extremists want to obliterate this Shaheedi Sthaan completely.
This is against basic human rights- no one can deny a person freedom to practice their religion <a href="https://twitter.com/ImranKhanPTI?ref_src=twsrc%5Etfw">@ImranKhanPTI</a>
Pls warn such extremist elements &amp; take immed action to save Shaheedi Sthaan frm illegal squatters <a href="https://t.co/AD3PjpKjke">https://t.co/AD3PjpKjke</a> <a href="https://t.co/ZHtqAtPXyi">pic.twitter.com/ZHtqAtPXyi</a></p>
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) <a href="https://twitter.com/mssirsa/status/1287275529532399616?ref_src=twsrc%5Etfw">July 26, 2020</a></blockquote>
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<p dir="ltr" lang="en">Strongly condemn attempts being made to convert holy Gurdwara Sri Shahidi Asthan in Lahore, site of martyrdom of Bhai Taru Singh Ji, into mosque. Urge <a href="https://twitter.com/DrSJaishankar?ref_src=twsrc%5Etfw">@DrSJaishankar</a> to convey Punjab's concerns in strongest terms to Pakistan to safeguard all Sikh places of reverence.</p>
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) <a href="https://twitter.com/capt_amarinder/status/1287945626982875136?ref_src=twsrc%5Etfw">July 28, 2020</a></blockquote>
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पाकिस्तान में ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक ही तरह से देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव होता है उनका धर्म परिवर्तन कराने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथी रोजगार का सहारा ले रहे हैं. यह बात सर्वविदित है कि पाकिस्तान में मुस्लिमों के अलावा बाकी समुदाय के लोगों के लिए नौकरियां ना के बराबर हैं, ऐसे में मौलाना और मौलवी लोगों को यह लालच दे रहे हैं कि अगर आप अपना धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाते हैं तो आपको नौकरी मिलने में सहूलियत होगी.

<a href="https://www.nytimes.com/2020/08/04/world/asia/pakistan-hindu-conversion.html">अगस्त</a> के शुरुआत में पाकिस्तान के सिंध में दर्जनों हिंदुओं ने अपने धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाया, इसके पीछे वजह पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों के लिए रोजगार के अवसर का ना होना बताया गया.
1947 में जहां पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या 20 प्रतिशत थी वह आखिरी जनगणना के अनुसार 1.6 प्रतिशत रह गई है. सिंध प्रांत से अल्पसंख्यक समुदाय हिंसा और अन्य तरह के भेदभाव से त्रस्त होकर दूसरे देशों में जाकर शरणार्थी हो गए और यह सिलसिला लगातार जारी है.

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल भी अल्पसंख्यक समुदाय को प्रताड़ित करने के लिए किया जाता है. 2019 की ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ के अनुसार पाकिस्तान में 17 लोगों को ईशनिंदा कानून के अंतर्गत मौत की सजा सुनाई गई है. मई में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने अहमदिया समुदाय की दो ऐतिहासिक इमारतों को तोड़ डाला था. अहमदिया समुदाय से आने वाले आतिफ मियां को इमरान सरकार ने अपना वित्त सलाहकार नियुक्त किया था, जिन्हें बाद में कट्टरपंथियों के दबाव में इस्तीफ़ा देना पड़ा.

‘मूवमेंट ऑफ़ सॉलिडेरिटी एंड पीस इन पाकिस्तान’ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार हर साल अल्पसंखयक समुदाय की 1000 लड़कियों को जबरदस्ती मुस्लिम पुरुषों से निकाह करना पड़ता है और इनमें से ज़्यादातर का धर्म परिवर्तन करवा दिया जाता है.

पाकिस्तान में बढ़ती धार्मिक कट्टरता के पीछे मौलानाओं का बड़ा हाथ है. पाकिस्तान सरकार इन कट्टरपंथियों के दवाब में लगातार झुकती आई है, जिसने अल्पसंख्यक समुदाय के धर्म और उनके अस्तित्व दोनों पर बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है..