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ताल‍िबान आतंकियों की आएगी तबाही, एक्शन में आए विदेश मंत्री एस जयशंकर, अफगानिस्‍तान में भारत भेजेगा अपनी सेना?

S Jaishankar

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना लौट रही है। अमेरिकी फौज के लौटते ही तालिबी फिर से पैर पसारने लगे हैं। तालिबान का दावा है कि उन्‍होंने देश के 85 फीसदी हिस्‍से पर कब्‍जा कर लिया है। कई जगहों से हिंसा की खबर है। इस मुश्किल के दौर में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी ऐक्‍शन में आ गए हैं। जयशंकर लगातार ईरान से लेकर रूस तक की यात्रा कर रहे हैं। इस बीच सामरिक हलके में यह चर्चा जोर पकड़ रही है क्‍या तालिबान-पाकिस्‍तान की नापाक चाल को फेल करने के लिए भारत अफगानिस्‍तान में अपनी सेना को भेजेगा?

'मिशन अफगानिस्‍तान' को फतह करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री ने सबसे पहले कतर से इसकी शुरुआत की। पश्चिम एशियाई देश कतर वही जगह है जहां पर अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ था। इसके बाद जयशंकर ईरान, रूस, ताजिकिस्‍तान और अब उज्‍बेकिस्‍तान पहुंचे हैं। ताशकंद में भारतीय विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात कर युद्धग्रस्त देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां तेजी से बिगड़ रही स्थिति पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के प्रति भारत का समर्थन दोहराया। यह मुलाकात बहुपक्षीय कनेक्टिविटी सम्मेलन से इतर हुई।

भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात कर प्रसन्न हूं। अफगानिस्तान के भीतर और आसपास मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के प्रति समर्थन दोहराया।’ यही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका के अफगानिस्‍तान में विशेष प्रतिनिधि जाल्‍मई खलीलजाद के साथ भी मुलाकात की। जयशंकर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे की दो दिवसीय यात्रा के बाद ताशकंद पहुंचे हैं। दुशांबे में जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव बढ़ने से बिगड़ रही स्थिति पर गंभीर चर्चा की।

दरअसल, अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने 95 फीसदी सैनिकों को वापस बुला लिया है और वह युद्धग्रस्त देश में लगभग दो दशक तक अपनी मौजूदगी के बाद अगस्त के अंत तक अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पूरा करना चाहता है। अफगानिस्तान में हाल के सप्ताहों में तालिबान ने सिलसिलेवार हमलों को अंजाम दिया है। जयशंकर ने बुधवार को एससीओ की बैठक में अपनी टिप्पणी में कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य इसका विगत नहीं हो सकता और विश्व हिंसा एवं ताकत के दम पर सत्ता हथियाने के खिलाफ है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार बैठक में शामिल हुए। इस बीच पाकिस्‍तान भी एक शांति बैठक आयोजित करने जा रहा है। पाकिस्‍तान ने अब तालिबान को एयर सपॉर्ट भी देना शुरू कर दिया है।

तालिबान ने अब भारत-अफगान दोस्‍ती के प्रतीक कहे जाने वाले सलमा बांध पर हमले करना शुरू कर दिया है। सलमा बांध पर भारत ने करोड़ों रुपये खर्च किया था और यह अफगानिस्‍तान में भारत के सबसे महंगे प्रॉजेक्‍ट में से एक था। इस बांध न केवल बिजली का उत्‍पादन होता है, बल्कि जमीन सिंचाई के ल‍िए भी पानी की सप्‍लाइ होती है। अब ताल‍िबान इस बांध को तबाह करने में जुट गया है और लगातार बम बरसा रहा है। सलमा बांध अफगानिस्‍तान के हेरात प्रांत में स्थित है। इस बांध का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ घनी ने वर्ष 2016 में उद्घाटन किया था। अधिकारियों ने बताया कि तालिबान आतंकी रॉकेट और तोपों से गोलों की बारिश कर रहे हैं।

अफगानिस्‍तान में खराब होते हालात के बीच अब सामरिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्‍या तालिबान और पाकिस्‍तान की नापाक साजिश को नाकाम करने के लिए भारत को अपनी सेना भेजनी चाहिए। फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक अफगान सरकार भारत के तालिबान के साथ बातचीत की खबरों से खुश नहीं है। अफगान सरकार ने भारत से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में वह और ज्‍यादा समर्थन दे। अफगानिस्‍तान ने कहा क‍ि अमेरिका उसे हर साल साढे़ 4 अरब डॉलर देने जा रहा है। इसमें बड़ी मात्रा में हथियार भी शामिल हैं। अफगानिस्‍तान के भारत में राजदूत फरीद ममुंदजाय कहते हैं, 'हमने अभी भारत से सैन्‍य सहायता नहीं मांगी है लेकिन उसे ऐसा करना पड़ सकता है।' उन्‍होंने कहा कि अगर तालिबान के साथ बातचीत फेल होती है तो हम भारत से सैन्‍य सहायता मांग सकते हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि अगले 6 महीने में अफगान सरकार गिर सकती है। ऐसे में अफगानिस्‍तान को तत्‍काल मदद की जरूरत है।