jaishankar slams china: अब किसी पर जोरों से वार किया जाता है तो पड़ोस में बैठे व्यक्ति पर भी पानी के छीटें पहुंच ही जाते हैं। भीगे जूतों से वार करने का फायदा ये भी होता है कि एक तीर से कई निशाने सध जाते हैं। ये सिर्फ एक उदाहरण है हम हिंसा का समर्थन नहीं करते। खैर अब आते हैं मुद्दे पर। मालूम हो भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ पाकिस्तान को भी शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO की बैठक में अच्छी तरह से धो डाला है। जयशंकर ने BRI परियोजना को लेकर जमकर लताड़ लगायी है और मजे की बात तो यह है कि इस बैठक की अध्यक्षता कोई ओर नहीं बल्कि चीन ही कर रहा था। यह बैठक चीन की तरफ से ही आयोजित की गई थी और भारत ने ड्रैगन को उसी की बैठक में अच्छी तरह से कूट दिया।
दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की एक मीटिंग में चीन को जमकर फटकार लगाई है। यह मीटिंग चीन की तरफ से ही आयोजित की गई थी। जयशंकर ने मीटिंग में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के बहाने चीन पर हमला बोला है। इस कार्यक्रम में चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि चीन के कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भारत और बाकी देशों की अखंडता और सप्रंभुता का सम्मान करना चाहिए। यहां पर जयशंकर ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के फेवरिट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) का नाम तो नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा इसी तरफ था।
भारत ने किया है विरोध
जिस समय जयशंकर चीन को फटकार लगा रहे थे, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी वहीं मौजूद थे। भारत,सीपीईसी के तहत बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं। एससीओ में शामिल कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों ने बीआरआई को अपना समर्थन दिया है। लेकिन भारत इन देशों से अलग राय रखता है।
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चीन ने भारत के सामने भी इसमें शामिल होने का प्रस्ताव रखा है लेकिन हर बार इसे खारिज कर दिया जाता है। इस साल जुलाई में पाकिस्तान और चीन ने सीपीईसी में कुछ और देशों को शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया था। भारत ने उस समय भी दोनों देशों को फटकार लगाई थी।
पीओके से गुजरते प्रोजेक्ट्स
भारत हमेशा से ही सीपीईसी के तहत आने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए संवेदनशील रहा है। ये ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के इलाकों से होकर गुजरते हैं। इन इलाकों पर भारत अपना अधिकार जताता है। साल 2013 में सीपीईसी को लॉन्च किया गया था। इसका मकसद पाकिस्तान में सड़क, रोड और ऊर्जा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना था। ये सभी इंफ्रास्ट्रक्चर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ते हैं। सीपीईसी एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिस पर चीन काफी मेहनत कर रहा है। भारत ने हमेशा से इसका विरोध किया है।