दुनिया के कुछ ही ऐसे देश होंगे जो चीन से परेशान न हो। सिर्फ वही देश जिनकी चीन के साथ अच्छी बनती है, जिसमें दो-तीन देश ही शामिल हैं। दरअसल, चीन उनमें से है जो अपनों को ही दोस्तों को भी नहीं बख्शता है। चीन से सीमा साझा करने वाले देश तो परेशान हैं ही साथ ही वो भी जो इससे सीमा साझा नहीं करते। वहीं चीन (China) और रूसी हमले के खतरे का सामना कर रहे जापान (Japan) ने चीन की तरफ से मिलती चुनौतियों ने उसे बदलने पर मजबूर कर दिया है। पहले जापान ने अपनी राष्ट्रीय रक्षा नीति में बदलाव किया और अब पनडुब्बियों के बेड़े को बदल रहा है। एशिया निक्केई की एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान गुपचुप पनडुब्बी क्षमता को बढ़ाने में लगा हुआ है। वह अपने बेड़े में कुछ ऐसी पनडुब्बियों को शामिल कर रहा है जो काफी खतरनाक हैं।
जापान की नई पनडुब्बी कैसे ताकतवर?
जापान के रक्षा मंत्रालय को हाल ही में नई पनडुब्बी हकुगी मिली है जिसे कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज ने तैयार किया है। जापानी भाषा में हकुगी का मतलब सफेद व्हेल होता है। यह पनडुब्बी ताइगी कैटेगरी की है जो डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और लिथियम-आयन बैटरी से लैस है। यह पनडुब्बी काफी लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती है। डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी बिल्कुल किसी हाइब्रिड व्हीकल की तरह काम करती है। यह बैटरी सिस्टम को चार्ज करती है जबकि डीजल से ऑपरेट होती है। एक बार जब पनडुब्बी गहरे पानी में होती है तो ऑपरेशन मोड पर बैटरी पावर पर स्विच कर जाती है। बैटरी से ऑपरेट होते हुए इन पनडुब्बियों कर इंजन जरा भी आवाज नहीं करता है।
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जापान की सेना कैसे ताकतवर हुईं?
इस क्षमता के बाद जापान, पनडुब्बियों के मामले में चीन से एक कदम आगे हो गया है। अमेरिकी विशेषज्ञों की मानें तो ये ताकतवर पनडुब्बियां, संभावित ताइवान संकट में पूर्वी चीन सागर की रक्षा करने में सक्षम होंगी। साथ ही अगर प्रशांत महासागर में चीन कोई हरकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। जापान की नई पनडुब्बियां चीनी जहाजों को समंदर में कहीं भी गश्त करने से रोक पाएंगी।
ड्रैगन को चाहिए ऐसी पनडुब्बी
जापान की 22 पनडुब्बियों में से एक हकुगी, हिरोशिमा स्थित मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स के क्योर नेवल बेस में शामिल होगी। यह पनडुब्बी ओआशियो कैटेगरी की पनडुब्बी ओयाशियो की जगह लेगी। इस पनडुब्बी को जापान ने 25 साल के बाद रिटायर कर दिया है। जापान की यह नई पनडुब्बी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि चीन की नजरें अब अयान बैटरीज वाली पनडुब्बियों पर गढ़ी हुई है।