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आखिरी फोन कॉल में बाइडेन से क्या बोल रहे थे अशरफ गनी? 14 मिनट की बातचीत से पाकिस्तान हुआ बेनकाब

आखिरी फोन कॉल में बाइडेन से क्या बोल रहे थे अशरफ गनी

अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ चुका है। दो दशक तक चले इस अभियान में कौन जीता कौन हारा ये आकलन लगाना मुश्किल है। अमेरिका 30 अगस्त को ही अफागानिस्तान छोड़ चुका है। अब काबुल एयरपोर्ट पर भी तालिबान का कब्जा है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें तालिबान के खिलाफ जारी लड़ाई को लेकर चर्चा हुई थी। जिसमें कई खुलासे हुए है।

एक समाचार एजेंसी ने दावा किया है कि 23 जुलाई को जो बाइडेन और अशरफ गनी के बीच 14 मिनट लंबी बातचीत हुई थी, जिसमें जो बाइडेन ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद के बारे में चर्चा की थी। साथ ही उन्होंने अशरफ गनी से कहा था कि उन्हें तालिबान के खिलाफ जारी लड़ाई को लेकर छवि बदलने की जरूरत है, क्योंकि अफगानिस्तान और दुनिया में ये छवि खराब हो रही है। रॉयटर्स के मुताबिक, जो बाइडेन ने अशरफ गनी से कहा था कि वह तभी सैन्य मदद देंगे, जब वह सार्वजनिक तौर पर तालिबान को रोकने का प्लान सामने रखेंगे। जो बाइडेन ने कहा था कि हमारी ओर से हवाई सपोर्ट जारी रहेगा, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि आगे का प्लान क्या है। इस फोन कॉल के कुछ दिन पहले ही अमेरिका अफगान आर्मी का समर्थन करते हुए तालिबान के खिलाफ एयरस्ट्राइक की थी।

रॉयटर्स ने जिस बातचीत का दावा किया है, उसे देखें तो ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से पूरी कोशिश की जा रही थी कि अफगान सेना को मदद पहुंचाई सके। और उन्हें इस बातचीत के दौरान बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि अगले एक महीने में किस तरह अफगानिस्तान का भविष्य पूरी तरह से बदलने वाला है। इस बातचीत में अशरफ गनी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को पाकिस्तान को लेकर चेतावनी दी गई थी। रॉयटर्स के मुताबिक, अशरफ गनी ने कहा था कि तालिबान  पूरी ताकत के साथ एक बार फिर हमला कर रहा है, इसमें पाकिस्तान की ओर से उसे पूरा सपोर्ट दिया जा रहा है। इसके अलावा 10-15 हजार आतंकी भी पाकिस्तान की ओर से दिए गए हैं, ताकि तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी अफगानी सेना के खिलाफ लड़ सकें।

आपको बता दें कि जब दोनों नेताओं के बीच ये बातचीत हुई, उससे पहले ही अमेरिका की ओर से 11 सितंबर तक काबुल छोड़ने का ऐलान हो चुका था। अगस्त के पहले हफ्ते में ही अफगानिस्तान के अलग-अलग शहरों, प्रांतों के तालिबान के कब्जे में जाने की खबर आने लगी थी।