अमेरिका और चीन दोनों ही एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बनते जा रहे हैं। ड्रैगन इन दिनों कई देशों को परेशान कर रखा है। इनके क्षेत्रों में जमबर घुसने की कोशिश कर रहा है और साथ ही अपना होने का दावा कर रहा है। इसके साथ ही कई और मामलों को लेकर अमेरिका और चीन आमने सामने हैं। खासकर ताइवान को लेकर। ताइवान को लेकर चीन का कहना है कि वो उसका क्षेत्र है जिसे वो कभी भी वापस ले ले। इसके लिए चीन ने रणनीति भी तेज कर दी है। जिसपर अमेरिका का कहना है कि, अगर ताइवान पर हमला हुआ तो चीन को सबसे पहले सामना अमेरिका से करना होगा। वहीं, अब अमेरिका के चाल से चीन भड़क गया है और दक्षिण चीन सागर में सैन्यभ्यास शुरू कर दिया है।
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की दक्षिण कोरिया और जापान यात्रा के समय चीन विवादित दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास कर रहा है। उनकी यह यात्रा काफी हद तक चीन से संभावित खतरे का मुकाबला करने पर केंद्रित है। दक्षिणी द्वीपीय हेनान प्रांत में चीनी समुद्री सुरक्षा प्रशासन कार्यालय ने कहा कि गुरुवार को यह सैन्याभ्यास शुरू हुआ जो सोमवार तक चलेगा। उसने कहा कि अन्य विमानों एवं जहाजों को संबंधित क्षेत्र में आने की मनाही होगी, लेकिन उसने उसका ब्योरा नहीं दिया। चीन दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है और अहम समुद्री मार्ग एशिया में संभावित टकराव का बिंदु बन गया है।
अमेरिका ने संप्रभुता के मुद्दे पर कोई रूख तो नहीं अपनाया है लेकिन वह समुद्र में स्वतंत्र रूप से आने जाने तथा जंगी जहाजों को उस क्षेत्र में चीन के कब्जे वाले सैन्यीकृत द्वीपों के समीप ले जाने पर जोर डालता है। वह इसे शिपिंग ऑपरेशन की स्वतंत्रता बताता है। चीन ऐसे मिशनों को नियमित रूप से जानबूझकर की गई भड़काऊपूर्ण कार्रवाई बताता है। उसका कहना है कि इससे शांति एवं स्थायित्व खतरे में पड़ जाती है।
बता दें कि, चीन जमीन के साथ समुद्र में भी कई देशों के क्षेत्रों पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। दक्षिण चीन सागर में बढ़ती उसकी घुसपैठ को ही देखते हुए क्वाड देशों का समुह बना है जिसका उद्देश्य है कि चीन से छोटे देशों को कैसे बचाया जाए और उसके बढ़ते कदमों को रोका जाय। इसी पर चीन भन्नाया हुआ है कि, ये देश उसके खिलाफ एक साथ मिलकर रणनीति क्यों बना रहे हैं। इसके साथ ही चीन ताइवान पर हमला करने के लिए पूरी तैयारी कर के बैठा है। लेकिन, अगर चीन ने यहां हमला किया तो उसे भी पता है कि, दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध शुरु हो जाएगा।