Suez Canal: स्वेज नजर (Suez Canal) में करीब सप्ताह भर से फंसे एक मालवाहक जहाज को सोमवार सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। करीब 400 मीटर लंबे और 59 मीटर चौड़े इस जहाज को निकालना इंजीनियर्स के लिए मुश्किल चुनौती थी। लेकिन कहा जा रहा है कि क्रेंस और टग बोट के अलावा चौदहवीं के चांद (Super Moon) नए इस भारी भरकम जहाज को कैनाल से बाहर निकालने में मदद की। एशिया औरय यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला, पनामा के ध्वज वाला 'द एवर गिवेन' (The Evergiven) जहाज स्वेज शहर के नजदीक पिछले मंगवार को नहर में फंस गया था। इस नहर से दुनिया का करीब 10 प्रतिशत व्यापार होता है।
ऐसे फंस गया था जहाज
एवरगिवन जहाज चीन से माल लादने के बाद नीदरलैंट के पोर्ट रॉटरडैम जा रहा था। यहां से गुजरने के दौरान तेज और धूलभरी हवा की वजह से जहाज नहर में ही फंस गया। 400 मीटर लंबे इस जहाज में 2 लाख टन से भी ज्यादा का माल लगा था। जहाज के चालक दल में 25 भारतीय भी शामिल थे। जहाज के फंसने से नहर में यातायात पूरी तरह बंद हो गया था और रोजाना करोड़ो का नुकसान हो रहा था। नजहर के दोनों छोर पर करीब 150 जहाज फंसे हुए थे।
जहाज को निकालने के लिए इंतजार करना पूर्णिमा की रात का
इस जहाज के फंसने के बाद दुनिया के तमाम बड़े इंजीनियर्स की चिंता बढ़ गई थी। जहाज फंसने के लगातार इस बाहर निकालने की कोशिशें की जा रही थी लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही थी। जहाज बड़े पथ्तर के बीच फंस गया था। खबरों की माने तो करीब 950000 क्यूबिक फिट रेत ने इसे 60 फीट पानी के अंदर धकेल दिया था। ऐसे में जब क्रेन और टगबोट जहाज को नहीं निकाल पाए तो इंजीनियर्स पूर्णिमा की रात का इंतज़ार करना शुरू कर दिया।
दरअसल, पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान एक वक्त ऐसा आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिस दौरान चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसी को सुपरमून कहते हैं, इस दौरान गुरुत्वाकर्षण के चलते पानी में हाई टाइड बढ़ जाती है। जिसके चलते पानी का स्तर एक से डेढ़ फीट बढ़ जाता है। इसे स्प्रिंग टाइड भी कहते हैं। ऐसा महीने में दो बार होता है, कुछ ऐसा ही स्वेज कैनाल में भी हुआ। पानी का लेवल बढ़ने से ये जहाज़ ऊपर की तरफ अपने आप आने लगा जिसके बाद इंजीनियर्स को इस बाहर निकालने में मदद मिली।
क्यों महत्वपूर्ण है स्वेज नहर?
दुनिया की सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक स्वेज नजर है। पूरी दुनिया में होने वाले समुद्री कारोबार का 12 फीसदी आवागम इसी नहर से होता है। इस नहर को बनने के बाद एशिया और यूरोप के बीच की दूरी 6000 किलोमीटर कम हो गई है। सफर में भी सात दिनों की कमी आई है। रोजाना यहां से लगभग 50 जहाज गुजरते हैं जिन पर 10 बिलियन डॉलर यानी करीब 73 हजार करोड़ रुपए तक का सामान लदा होता है।