एक भारतीय जो 13 साल पहले लापता हो गया था। वो आज घर लौट आया है। कच्छ जिले की भुज के इस्माइल समा साल 2008 में वो मवेशियों को चरवाते हुए सीमा के पार चले गए थे। जहां से अब वो 13 साल बाद शुक्रवार को घर लौटे हैं। इस्माइल के घर आते ही परिवार वाले हैरान रह गए। जैसे की इस्माइल अपने भाई जुनैस के साथ कार से घर पहुंचे तो रिश्तेदारों ने उनके चारों ओर झुंड लगा लिया। इस्माइल में अपने बेटों को गले लगाया। गांव के सभी बूढ़े-बच्चों ने उन्हें घरे लिया।
इस्माइल ने बताया कि जब पाकिस्तानी रेजंरों ने मुझे पकड़ा और भारतीय जासूस होने के शक में खुफिया एजेंसियों ने मुझे प्रताड़ित किया। तो मुझे लगा था कि मैं कभी वापस नहीं लौट सकता। मुझमें घर के बारे में सोचने तक की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि यह मुझे दुखी कर देता और मैं पागल हो जाता। ऐसा पाकिस्तान में कई भारतीयों के साथ होता है। घर वापस आना मेरे लिए दूसरा जन्म है, अल्लाह ने मेरी प्रार्थना सुन लीं।
इस्माइल ने आगे बताया कि आईएसआई ने उन्हें 6 महीने तक यातानाएं दी। वे चाहते थे कि मैं स्वीकार करूं कि मैं एक भारतीय जासूस हूं लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं नहीं था। मैंने उन्हें बताया कि अल्लाह हमारा रक्षक है और मैं झूठ बोलने से पहले मरना बेहतर समझूंगा। फिर उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने के लिए कहा जिसका कोई सवाल ही नहीं था।
भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। इस्माइल अगस्त 2008 में मवेशियों को चराने गए थे और लापता हो गए थे। उन्होंने बताया कि एक बिच्छू ने मुझे डंक मारा और मुझे चक्कर आ गया। मैने अपनी दिशा खो दी। अगली सुबह साढे 10 बजे पाकिस्तानी रेंजर्स ने मुझे पकड़ लिया और मुझे बताया कि मैंने उनके देश में घुसपैठ की है। वे मुझे अस्पताल ले गए और मेरी स्थिति में सुधार हुआ। उन्होंने मुझे आईएसआई को सौंप दिया।
इस्माइल ने बताया कि साल 2014 में उन्हें पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस दिया गया। उनके परिवार को भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे जेल में मेरे परिवार को पत्र लिखने के लिए साथी कैदी मिले। मैंने 15 पत्र लिखे लेकिन मुझे अब पता चला की यहां एक भी पत्र नहीं मिला। उनका मामला मुंबई निवासी कार्यकर्ता जतिन देसाई ने भारतीय अधिकारियों के सामने रखा। देसाई पाकिस्तान-भारत पीपुल्स फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी (PIPFPD) के भारतीय चैप्टर से जुड़े हैं। इस्माइल की पत्नी कामाबाई को उनके बारे में पाकिस्तानी साल 2017 में पता चला जब पास के गांव के एक निवासी रफीक जाट पाकिस्तान से वापस आया था। उसने परिवार को बताया कि इस्माइल और वो जेल में एक साथ थे।
जानकारी मिलने के बाद नाना दिनारा के सामाजिक कार्यकर्ता फजला समा और उप-सरपंच ने भारतीय और पाकिस्तानी सरकार को इस्माइल को रिहा करने के लिए पत्र लिखा क्योंकि उनकी सजा 2016 में ही पूरी हो गई थी। आखिरकार, इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने दिसंबर 2020 में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय अधिकारियों द्वारा उनके मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इस्माइल के प्रत्यावर्तन को मंजूरी दे दी थी। इस्माइल को 21 जनवरी को कराची सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया था और अगले दिन वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को उसे सौंप दिया गया।