विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक और घातक वायरस की पहचान की है। इस खतरनाक वायरस का नाम 'मारबर्ग वायरस' है। इस वायरस का पहला केस पश्चिमी अफ्रीकी के देश गिनी से सामने आया। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि मारबर्ग वायरस की वजह से गिनी में एक व्यक्ति की मौत हो गई। ये वायरस इबोला बीमारी से कही ज्यादा खतरनाक है। दो महीने पहले ही डब्ल्यूएचओ ने ऐलान किया था कि देश में इबोला का प्रकोप खत्म हो चुका है। इस ऐलान के बाद अब मारबर्ग वायरस के मामले ने लोगों की चिंता को बढ़ा दिया हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मारबर्ग वायरस के फैलने की आशंका जताई है। जिसके चलते डब्ल्यूएचओ के अधिकारी क्षेत्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे है। इसको लेकर डब्ल्यूएचओ लोगों को जागरूक कर रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, फिलोविरिडे या फाइलोवायरस नाम वायरस के कारण ही मारबर्ग होता है। इसके लक्षणों में बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दर्द, दस्त, पेट में दर्द, ऐंठन, मतली और उल्टी शामिल हैं। इस वायरस से संक्रमित होने पर मृत्यु दर 88 फीसदी है।
आपको बता दें कि मारबर्ग वायरस का नाम जर्मनी के शहर मारबर्ग के नाम पर रखा गया है, जहां ये 1967 में सबसे पहले सामने आया था। इस साल भी जर्मनी के फ्रैंकफर्ट, वर्तमान सर्बिया के बेलग्रेड में भी मारबर्ग का प्रकोप देखने को मिला था। रोसैटम चमगादड़ों द्वारा इंसान इस वायरस के चपेट में आता है। एक बार संक्रमित होने पर मरीज इस वायरस को खून और शरीर से निकलने वाले तरल से दूसरे लोगों में फैला सकता है। चिंता की बात ये है कि इस वायरस से निपटे के लिए मौजूदा समय में कोई वैक्सीन या एंटी वायरल दवा नहीं है। इसको लेकर रिसर्च जारी हैं।