पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उस दौरान काफी खुश थे जब तालिबान ने अफगानिस्ता में सत्ता काबिज की। तालिबान के वापसी से इमरान खान इतना खुश थे कि वो इनके लिए पूरी दुनिया से समर्थन करने के लिए बोलने लगे। तालिबान को हथियार से लेकर आर्थिक मदद तक में पाकिस्तान ने खूब मदद किया है। लेकिन इसी तालिबान के आने से पाकिस्तान की धरती दहलनी शुरू हो गई। अब तक पाकिस्तान में इससे पहले कभी इतने आतंकी हमले नहीं हुए थे। तालिबान के अफगान में आते ही पाकिस्तान में आतंकी हमले में वृद्धि हुई है। इसे लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह दावा किया गया है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि, अगस्त 2021 में पाकिस्तान में सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए। ये वही वक्त है जब अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता शुरू हुई। पाकिस्तान में प्रति माह आतंकवादी हमलों की औसत संख्या 2020 के 16 से बढ़कर 2021 में 25 हो गई, जो 2017 के बाद सबसे अधिक थी। वहीं, पाकिस्तान के प्रतिष्ठित डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 नवंबर से 10 दिसंबर तक एक महीने के संघर्ष विराम के बावजूद आतंकवादी हमलों की कुल संख्या में कमी नहीं आई है। उधर, पाकिस्तान प्रकाशन ने कहा है कि पाकिस्तान में प्रति माह आतंकवादी हमलों की औसत संख्या 2020 में 16 से बढ़कर 2021 में 25 हो गई, जो 2017 के बाद सबसे अधिक थी।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, बलूचिस्तान सबसे अशांत प्रांत रहा जहां पर 103 हमलों में 170 मौतें दर्ज की गई हैं। इसके साथ ही सबसे अधिक घायलों की संख्या भी बलूचिस्तान में ही दर्ज की गई, जहां कुल घायलों में से 50 प्रतिशत से अधिक दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि खैबर पख्तूनख्वा बलूचिस्तान के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि, पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से क्षेत्रीय संघर्ष को समाप्त कनरे का समर्थन किया लेकिन अंततः किसी भी प्रकार की शांति को स्थापित नहीं कर सका क्योंकि, इसके पीछे पाकिस्तान के नेताओं का निजी स्वार्थ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह का कृत्य विशेष रूप से पाकिस्तान पर उसके सैन्य और खुफिया प्रतिष्ठान पर उल्टा पड़ सकता है।