अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए बड़ी जीत जैसी है। पाकिस्तान तालिबान की सपोर्ट कर रहा था ये आरोप कई बार अफगानिस्तान के नेता लगा चुके हैं। अब खुद अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह ने आरोप लगाया है कि आतंकियों को पनाह देने में पाकिस्तान का बड़ा हाथ है। अमरूल्लाह सालेह ने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका से पैसे ले-लेकर तालिबान को मजबूत किया।
फिलहाल अमरूल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था, काबुल के उत्तर-पूर्व में पंजशीर घाटी में तालिबान विरोधी प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, जो अभी भी तालिबान के नियंत्रण से मुक्त है। इंटरव्यू में 48 वर्षीय अफगान नेता सालेह ने तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया। काबुल पर तालिबान के कब्जे के लिए किसे दोषी मानते हैं, इस सवाल के जवाब में सालेह ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि तालिबान कभी दबाव में नहीं था। तालिबान ने पाकिस्तान को अपने सपोर्ट बेस के रूप में इस्तेमाल किया। पूरा पाकिस्तान तालिबान के लिए काम कर रहा था।
अमरुल्ला सालेह ने आगे कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को सहयोग के लिए पैसे भेजता था, जिसका इस्तेमाल आतंक का आका पाकिस्तान तालिबान समर्थन में करता था। अमेरिका जितना पैसा देता रहा उतना अधिक पाकिस्तान तालिबान को सेवाएं और सहायता मुहैया कराता रहा। इसलिए पश्चिमी सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद और विद्रोह को बढ़ावा देने देश के मुद्दे पर कभी ध्यान नहीं दिया गया।
सालेह ने अफगान में तालिबानी हुकूमत की वजहों को गिनाते हुए यह भी कहा कि दोहा वार्ता ने तालिबान को वैधता प्रदान की जो कभी अपने शब्दों के प्रति वफादार नहीं रहे। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं किया और उन्होंने पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मूर्ख बनाया।