नेपाल की राजनीति एक बार फिर से गर्म हो गई है, शुक्रवार को राष्ट्रपति के. पी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली जिसके बाद नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चार रिट याचिका दायर की गई है। इनमें ओली को फिर से शपथ दिलाने का अनुरोध किया गया है। याचिकाओं में कहा गया है कि ओली ने शपथग्रहण समारोह के दौरान बोले गए सभी शब्दों को नहीं दोहरा कर राष्ट्रपति के पद का अपमान किया है।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। इस दौरान जब राष्ट्रपति ने शब्द 'शपथ' के अलावा 'भगवाने के नाम पर' बोला तो ओली ने उन शब्दों को छोड़ दिया। राष्ट्रपति भंडारी ने जब 'ईश्वर, देश और लोगों' का उल्लेख किया तो तीसरी बार ने के. पी शर्मा ओली ने कहा, 'मैं देश और लोगों के नाम पर शपथ लूंगा।' काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी 4 रिट याचिकाकर्ताओं में अनुरोध किया गया है कि ओली एक बार फिर पद और गोपनीयता की शपथ लें क्योंकि शुक्रवार को ली गई शपथ अवैध थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रकांता ग्यावली और अधिवक्ता लोकेंद्र ओली और केशर जंग केसी ने एक संयुक्त रिट याचिका दायर की है जबकि अधिवक्ता राज कुमार सुवाल, संतोष भंडारी और नवराज़ अधिकारी ने इसी मुद्दे पर अलग-अलग रिट याचिका दायर की हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह ओली से फिर से शपथ का निर्देश दे और उनके फिर से शपथ लेने तक उन्हें प्रथानमंत्री के तौर पर काम करने से रोको।
खबरों के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह ओली से फिर से शपथ लेने का निर्देश दे और उनके फिर से शपथ लेने तक उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोके।