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Nepal: PM KP Oli ने Madhav-Khanal गुट के सामने फेंकी गाजर, नेपाली संसद में क्या होगा, देखें रिपोर्ट

ओली ने कर दिया खेल!

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बड़ा खेल कर दिया है। ओली ने अपने दो विशेष दूतों को भेजकर माधव-खनाल गुट से कहा है कि वो उनका बहुत सम्मान करते हैं। माधव-खनाल गुट सदन से इस्तीफा न देने और विश्वास मत के पक्ष में समर्थन का वादा करते हैं तो उनकी मांगों पर विचार किया जा सकता है। इसी बीच यह खबर आ रही है कि माधव-खनाल गुट ने कहा है कि ओली को दी गई समय सीमा खत्म हो गई है और वो मास रेजिगनेशन की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि अभी तक उहापोह चल रही है। माधव-खनाल गुट के कितने सांसद इस्तीफा देंगे या नहीं देंगे इस पर संशय है।

इससे पहले माधव कुमार नेपाल ने ओली को छह सूत्रीय प्रस्ताव भेजकर शांति वार्ता का आह्वान किया था। इसमें माधव कुमार नेपाल ने यह भी कहा था कि अगर ओली उनके प्रस्ताव को मानकर वार्ता शुरू करने के आश्वासन देते हैं तो उनका गुट सरकार के विश्वास मत के पक्ष में मतदान कर सकता है। अन्यथा विश्वासमत के खिलाफ वोट करेंगे। माधव कुमार नेपाल ने ओली को यह भी चेतावनी दी थी कि इसके बाद नेपाल में जो भी परिस्थितियां बनेंगी उसके लिए पीएम ओली खुद ही जिम्मेदार होंगे।

पीएम ओली आज (सोमवार को) दोपहर एक बजे सदन में विश्वास मत पेश करेंगे। नेपाल में ओली के अलावा दो और पक्ष हैं जिन्हें देश की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ये दोनों पक्ष आज कल मौन हैं। इन दोनों पक्षों की चुप्पी किसी बड़े रहस्य की ओर इशारा करती है। इन दोनों पक्षों में एक प्रचण्ड हैं और दूसरे हैं कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा हैं। इसमें शेर बहादुर देउबा की चुप्पी ने तो नेपाल की सियासत में सबसे बड़ा रहस्य घोल दिया है। पहलेकहा जा रहा था कि प्रचण्ड और शेर बहादुर देउबा के बीच वार्ता हो गई थी। प्रचण्ड गुट देउबा को प्रधानमंत्री पद देने को भी राजी हो गया था। मगर देउबा ने अपना मुंह नहीं खोला।

अब भी यह माना जा रहा है कि विश्वासमत के अंतिम समय तक कांग्रेस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। अगर कांग्रेस सरकार के साथ जाती है तो ओली आसानी से विश्वासमत हासिल कर लेंगे, और अगर कांग्रेस विश्वासमत के खिलाफ जाती है तो भी ओली को सत्ता से बाहर रखने के प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं हो सकते। क्योंकि कांग्रेस और प्रचण्ड गुट को मिलाकर भी सरकार का गठन नहीं कर सकते। क्योंकि समाजवादी पार्टी ने विश्वासमत पर तटस्थ रहने का ऐलान कर दिया है। इसकी यह वजह बताई जा रही है कि विश्वासमत का समर्थन करने या न करने पर समाजवादी पार्टी एक राय नहीं है। इसलिए पार्टी ने तटस्थ रहने का फैसाल किया है।